जंगलराज रिटर्न्स बताकर जदयू की दो बार सांसद रहीं मीना सिंह ने छोड़ा नीतीश का साथ
पटना : जनता दल यूनाईटेड के अंदर उठापटक अभी खत्म होती नहीं दिख रही है। उपेंद्र कुशवाहा के बाद दो बार की सांसद रहीं मीना सिंह ने पार्टी से किनारा कर लिया है। अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने का एलान करते हुए उन्होंने कहा कि जंगलराज रिटर्न्स की नौबत में जदयू के अंदर पुराने लोग असहज हैं। उन्होंने कहा- “2015 में भी महागठबंधन की सरकार बनी थी, लेकिन तब कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने हाथों में रखी थी और भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने की बात पर कायम रहते हुए राजद का साथ छोड़ दिया था। इस बार वह बात नहीं। जदयू के प्रति समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं को उस दिन सदमा लग गया था, जब नीतीश कुमार ने जंगलराज के राजकुमार को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।”
नीतीश कुमार समता पार्टी के जमाने से साथ दे रहे लोगों को भुला दिया
भोजपुर-शाहाबाद के कद्दावर नेता और सांसद रह चुके अजीत कुमार सिंह की 2007 में एक सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी पत्नी मीना सिंह को जदयू से संसदीय चुनाव में उतारा गया था। 2008 से 2014 तक, दो टर्म जदयू से सांसद रहीं मीना सिंह ने कहा- जंगलराज से मुक्ति के लिए नीतीश कुमार की मुहिम में मेरे पति ने उनका साथ दिया। उनके निधन के बाद मैं भी इसी विचारधारा के साथ जुड़ी रही। नीतीश कुमार ने ही मुझे राजनीति में मौका दिया और मैं उन्हीं के साथ रहना चाहती थी। कई मौके दिए गए, लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। लेकिन, अब 2015 वाली परिस्थिति भी नहीं बची है। 2015 में जब महागठबंधन की सरकार थी तो पूरा नियंत्रण नीतीश कुमार के हाथ में था, लेकिन अब मेरे समर्थक भी कहने लगे हैं कि जदयू में बचा क्या है! मुख्यमंत्री ने न जानें क्या सोचकर समता पार्टी के जमाने से साथ दे रहे लोगों को भुला दिया। मिशन भूल गए।”
कहां जाएंगी…बताया नहीं, मगर संभावना यह है
जदयू में किनारे हो चुकीं मीना सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं के सवालों पर भी यह नहीं बताया कि वह आगे कहां जाएंगी, लेकिन भोजपुर-शाहाबाद क्षेत्र में आज भी अच्छी पकड़ रखने वाले दिवंगत अजीत कुमार सिंह के परिवार का रुख उस तरफ की राजनीति को जरूर प्रभावित करेगा। ऐसे में मीना सिंह का समर्थकों के साथ भाजपा या लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या उपेंद्र कुशवाहा की नवगठित राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) में से किसी भी तरफ जाना निश्चित रूप से जदयू की सेहत पर असर डालेगा। जिस भाषा में मीना ने अपनी बात रखी, उससे उनके कुशवाहा के साथ जाने की संभावना दिख रही है, हालांकि उन्होंने अभी विकल्प खुले रखे हैं और आगे का फैसला समर्थकों के साथ विमर्श के बाद लेने की बात कही है।