रेलवे अधिकारी दिलीप कुमार का कॉलम, अप्प दीपो भव-1

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सच्ची साधना और सद्गुरु की संगति से मिलता है सच्चा ज्ञान

– दिलीप कुमार
(कवि, मोटिवेशनल स्पीकर तथा भारतीय रेल के वरिष्ठ अधिकारी)

उस अजनबी शहर को पहचानने का प्रयास कर रहा था। मैं पहली बार उस शहर में था। कुछ ही देर पहले हल्की बारिश हुई थी। मौसम सुहावना था। तभी एक 18 वर्षीय युवक के टी-शर्ट पर लिखी इन बातों ने मेरा ध्यान आकृष्ट किया – ‘ज्यादा ज्ञान मत बांटिए। यहां अपना वाला ही नहीं संभल रहा।’

सोशल मीडिया पर उपलब्ध ज्ञान के विशाल भंडार ने हमें सचमुच सूचनाओं से समृद्ध कर दिया है। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर लगातार सूचनाएं रॉकेट के रूप में गिरते रहती हैं। फेसबुक यूनिवर्सिटी पर हर समय कोई न कोई व्याख्यान चलते रहता है। जिस व्यक्ति ने रिसर्च सेंटर या किसी अन्य जगह पर कभी वायरस देखा भी नहीं, वह कोविड-19 सहित सभी प्रकार के वायरस के बारे में व्याख्यान देता हुआ मिल जाता है। जाहिर है कि इस प्रकार की सूचनाएं हमें दिग्भ्रमित करती हैं। इस प्रकार की सूचनाओं से हमारी शंकाओं का तो कोई समाधान नहीं निकलता, उल्टे हम आंकड़ों के जंजाल में उलझ जाया करते हैं और फिर बड़े ही घमंड के साथ कहते हैं कि हम इतने ज्ञानी हो गए कि अपना ज्ञान हमसे नहीं संभल पा रहा। यह स्थिति खतरनाक है। इस प्रकार के ज्ञानरूपी जंजाल से हमें बचकर ही रहना चाहिए। सच्चा ज्ञान, सच्ची साधना और सद्गुरु की संगति से प्राप्त होता है। अल्प अवधि में शॉर्टकट तरीके से प्राप्त ज्ञान जीवन में दिग्भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। ऐसे ज्ञान का उपयोग कर हम अपना अहित तो करते ही हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने परिचितों और मित्रों के बीच उसे फैलाकर समाज का अहित भी करते हैं। स्मरण रहे कि अपुष्ट ज्ञान का महासागर रखने से लाख गुना बेहतर है कि हमारे पास सद्ज्ञान का छोटा सा कुंड हो।

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