स्वामी अनंताचार्य बोले- देवताओं से भी श्रेष्ठ और पूजनीय मां, भागलपुर के राधा माधव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

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भागलपुर संवाददाता।

भागलपुर के चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह में वृंदावन के स्वामी अनंताचार्य जी ने कहा कि माता की महिमा अपरंपार है। उन्होंने कहा कि देवताओं से भी श्रेष्ठ और पूजनीय मां को माना गया है। मां का स्थान पिता, आचार्य, गुरु और ईश्वर से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि जब भगवान राम ने लंका विजय प्राप्त किया तो वे स्वर्णमयी लंका में नहीं विराजे। राम ने कहा कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।

श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन के दौरान अनंताचार्य जी कहा भागवत ग्रंथ की रचना भक्तों के लिए हुई। यह ग्रंथ भक्तों को समर्पित है। इस अवसर पर गोकर्ण, धुंधकारी, राजा परीक्षित, भागवत की रचना, महाभारत की अंतिम कथा आदि का प्रसंग सुनाया।

स्वामी अनंताचार्य जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत सभी ग्रंथों की माता है, इसमें भक्ति का महत्व है। 18 पुराणों में 17 पुराण भगवान के नाम से है, लेकिन भागवत पुराण एक ही ऐसा धर्मग्रंथ है, जो भक्तों के लिए समर्पित है। इस ग्रंथ में 12 भागवतों की चर्चा है। श्रीमद्भागवत महापुराण में 12 स्कंध है। भगवान कहते हैं कि भक्त को मैं अपने से महान मानता हूं। भक्त का स्थान भगवान के लिए माथे पर तिलक के जैसा होता है।श्रीमद्भागवत को पुराणों का तिलक कहा गया है। यह कथा सुनने वाले श्रीमद्भागवत धर्म में दीक्षित होने वाले समस्त धर्मों में महानतम होते हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण अगति से भी गति देने में व पापी, तापी और संतापी को भी मोक्ष देने में सर्वथा सक्षम है। उन्होंने भक्त और भगवान के संंबंध पर चर्चा करते हुए कहा कि कोई भी भक्तों में कितनों दुराचारी हो, लेकिन वे भगवान के शरण में आ जाते हैं, तो उनका भी ईश्वर कल्याण करते हैं।

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