सुप्रीम कोर्ट का निर्देश-दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति की याचिका 2 सप्ताह में निपटाए हाईकोर्ट
Bharat varta desk:
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट मामले को 2 सप्ताह में निपटाए क्योंकि उसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि सीपीआईएल एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर जनहित याचिका को लंबित रखा जाएगा क्योंकि वह इस मामले में हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार करना पसंद करेगा।
शुरुआत में चीफ जस्टिस एनवी रमनाने कहा कि दो मुद्दे हैं। पहला, आस्थाना के सीबीआई निदेशक के पद पर चयन में उनकी भागीदारी और उनके विचार हैं और दूसरा, हाईकोर्ट में अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति वाली याचिका का लंबित होना।
जानकारी हो कि पिछले दिनों सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की बैठक में चीफ जस्टिस ने सीबीआई प्रमुख के पद के लिए अस्थाना के नाम पर आपत्ति जताई थी। चीफ जस्टिस का कहना था कि जिनकी सेवा कम से कम 6 महीने बची हो उन्हें ही इस पद पर रखा जा सकता है। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में अस्थाना छट गए और सुबोध जयसवाल को सीबीआई प्रमुख बनाने के नाम पर सहमति बनी।
वकील प्रशांत भूषण ने याचिका पर सुनवाई के लिए जोर देते हुए कहा कि, ‘चीफ जस्टिस अभी भी मामले की सुनवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘ राकेश अस्थाना को समायोजित करने के लिए हर नियम को ताक पर रख दिया गया। यह एक गंभीर मामला है। उन्होंने ऐसा मामला अपने जीवन में कभी नहीं देखा जब कानून के शासन का इस कदर खुला उल्लंघन किया गया। सेवानिवृत्ति के ठीक 4 दिन पहले उन्हें पुलिस प्रमुख नियुक्त कर दिया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के नियम के अनुसार सेवानिवृत्ति के कम से कम 6 माह पहले ही पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति की जा सकती है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवहेलना की गई है। कोर्ट के आदेशानुसार संघ लोक सेवा आयोग द्वारा तैयार पैनल से पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति होनी चाहिए। भूषण ने कहा कि वास्तविक याचिका को खारिज करने के लिए सरकार की मिलीभगत से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।