
*विशेष रिपोर्ट*
राजमहल: प्रकृति की गोद में बसा राजमहल (झारखंड के साहिबगंज जिला में स्थित) अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए विश्व विख्यात है। इसमें भी राजमहल प्रखंड अंतर्गत कटघर अपने दुर्लभ खाद्यान्न जीवाश्म के लिए प्रसिद्ध है। कई इतिहासकारों ने कटघर स्थित दुर्लभ खाद्यान्न जीवाश्म का उल्लेख अपने कहानियां में कर चुके हैं। आज भी कटघर इलाके के अन्य सरोवर में अनाज के जीवाश्म पाए जाते हैं, केवल मात्र कटघर इलाके में ही खाद्य पदार्थ के जीवाश्म चावल, धान, दलहन, चूड़ा, खेसारी, मटर, गेहूं, बीज, खीरा, अरहर आदि तमाम भोज्य पदार्थ हुबहू पत्थर के आकार के पाए जाते हैं। आज भी इसके नमूने विश्व के अन्य देशों के अलावा भारत के पटना, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि शहरों के संग्रहालय में उपलब्ध है। संथाल परगना गजेटीयर 1910 में ब्रिटिश लेखक एलएसएसओ मौली मेहतो ने यहां तक उल्लेख किया है कि कटघर में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के अनाजों के जीवाश्म विश्व के अन्यत्र कहीं नहीं है। भूगर्भ शास्त्र के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक लखनऊ के बीरबल साहनी ने अपनी रिपोर्ट में कटघर खाद्य पदार्थ के जीवाश्म को दुर्लभ से अति दुर्लभ करार दिया गया है, वे स्वयं कटघर पहुंचकर जीवाश्म में अनुसंधान किये जिसकी रिपोर्ट आज भी संस्थान में मौजूद है। वही इतिहासकार डॉ0 बी एन दिनेश ने बताया कि कटघर में पाए जाने वाले खाद्यान्न जीवाश्म विश्व में अन्यत्र कहीं पाए जाने का वर्णन नहीं है। संथाल परगना के गजेटियर 1964 के एक लेख ने भी पूरे संथाल परगना के धरोहर में से कटघर में पाए जाने वाले जीवाश्म के विषय में उल्लेख किया है।
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