पटना, भारत वार्ता राजनीतिक ब्यूरो : बिहार में इन दिनों चाचा भतीजा की राजनीति जोरों पर है. चाचा नीतीश कुमार और भतीजे तेजस्वी यादव जहां बिहार की सत्ता पर काबिज होकर शासन चला रहे हैं तो वही दूसरे चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. जबसे लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का निधन हुआ है तब से पासवान परिवार में ओहदे को लेकर महाभारत का शुभारंभ हो चुका है. चाचा भतीजा को नेता मानने से इनकार करते हैं तो भतीजा ले चाचा को नेता मानने से साफ मना कर दिया है. परिणाम यह निकला कि दोनों अपनी-अपनी पार्टी अलग कर राजनीति का खेल खेल रहे.
इसी बीच पशुपति पारस खेमे के बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह में एक बड़ा ऐलान कर दिया. पूर्व सांसद सूरजभान ने कहा है कि अगर 2024 चुनाव से पहले चाचा और भतीजा अर्थात पशुपति पारस और चिराग पासवान एक नहीं होते हैं तो उन दोनों का अस्तित्व मिट जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं फिलहाल न इधर हूं और न उधर हूं यानी कि पारस या चिराग किसी के भी खेमे वाली पार्टी में नहीं हूं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि चाचा भतीजा की जोड़ी समय की मांग है.
सूरजभान पर चिराग का पलटवार
सूरजभान सिंह के इस बयान के अगले दिन दिल्ली से पटना आते ही लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने सूरजभान पर पलटवार किया. चाचा और भतीजे में समझौते की वकालत कर रहे सूरजभान पर चिराग ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे जहां हैं वहां की चिंता करें. उन्होंने कहा कि यह वही सूरजभान सिंह हैं जिन्होंने मेरे परिवार और पार्टी दोनों को तोड़ने का षड्यंत्र किया है. इसलिए सूरजभान सिंह अपनी चिंता करें और वे जिनके साथ हैं उनकी चिंता करें. हमारी चिंता करने के लिये जनता और पार्टी के कार्यकर्ता हैं. हमारी चिंता सूरजभान सिंह न करें.
चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस के उस बयान पर आपत्ति जाहिर की जिसमें पारस ने कहा था कि चिराग न तो मेरे खानदान का है और न ही उसमें मेरे परिवार का खून है.
समझौता के लिए कहीं भाजपा का खेल तो नहीं!
चाचा-भतीजे में चल रहे अस्तित्व की लड़ाई के बीच बाहुबली सूरजभान के इस समझौते की वकालत वाली बयान से एकबार फिर सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. दिल्ली के सियासी गलियारे में और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस प्रकरण कब पीछे भाजपा का खेल है. भाजपा के शीर्ष नेता ही चाहते हैं कि चिराग और पशुपति पारस दोनों की पार्टी का लोकसभा चुनाव से पहले विलय हो जाये. कहा जा रहा कि भाजपा के शह पर ही सूरजभान समझौते की वकालत कर रहे और बात न बनने पर कड़ा बयान दे रहे. अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर समझौते की बात न बनी तो सूरजभान अपने भाई नवादा के सांसद चंदन सिंह और पत्नी मुंगेर के पूर्व सांसद वीणा देवी के लिए भाजपा से टिकट की बात बढ़ा रहे हैं.
भाजपा के अंदर के सूत्रों का यह भी कहना है कि कोशिश है कि अगले कुछ महीने में दोनों के बीच समझौता करा दोनों खेमे की पार्टी एकसाथ आ जाये. यह समझौता लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कराने के लिए ही कुछ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है.
वहीं, बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि दोनों के बीच अब समझौता हुआ थोड़ा कठिन है. क्योंकि चिराग और पारस दोनों जिद्दी स्वभाव के हैं और यही जिद्द दोनों के बीच टकराव का कारण भी बना. बता दें कि सूरजभान सिंह ने भी अपने बयान में यह कहा कि चिराग और पारस दोनों जिद्दी हैं.
Bharat varta Desk प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के 124वें… Read More
Bharat varta Desk झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने बहुप्रतीक्षित सिविल सेवा परीक्षा 2023 का… Read More
Bharat varta Desk देश के उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स… Read More
Bharat.varta Desk बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत ने रविवार को कहा कि… Read More
Bharat varta Desk छत्तीसगढ़ के भिलाई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल… Read More
Bharat varta Desk प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को विकसित राज्य बनाकर पूर्वी भारत को… Read More