काश, खुदा दिल पर लिख देता, दिल तोड़ना मना है, एक शाम इक़बाल दुर्रानी के नाम का आयोजन

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रांची: राजधानी रांची के मेन रोड स्थित तस्लीम महल में एक शाम इक़बाल दुर्रानी के नाम मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन कि अध्यक्षता मशहूर शायर परवेज रहमानी ने की और संचालन युवा शायर सोहेल सईद ने किया। मशहूर फ़िल्म निर्देशक इक़बाल दुर्रानी ने जब पढ़ा कि माली दीवार पर लिख देता है फूल तोड़ना मना है, काश खुदा दिल पर लिख देता कि, दिल तोड़ना मना है। तो पूरा मजमा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अपने अंधे गांव में कुछ ख्वाब देखें वह पूरे हो गए, ख्वाब ने जो ख्वाब देखे वह भी पूरे हो गए। मेरे झोली में कुछ ख्वाब डाल दो बाबा। वही जब प्रवेज रहमानी ने पढ़ा कि उसका न था जवाब सवालों के शहर में, वह बेमिसाल निकला मिसालों के शहर में। वही जब हारून खुमार ने पढ़ा कि बरसों बरस की ख्वाहिश लगती है ये, सोची समझी साजिश लगती है ये। वही जब संचालन कर्ता युवा शायर सोहेल शईद ने पढ़ा कि जरा ऊंचाई पर जो भी खड़ा है, समझता है कि वह सबसे बड़ा है। भरी महफिल में अब तनहा खड़ा है, वह सच कह कर मुसीबत में पड़ा है। वही जब शालिनी सबा ने पढ़ा कि तेरे खयाल की खुशबू चुरा रही है ग़ज़ल, बहार बनके मेरे पास आ रही है गजल।

वहीं जब डॉक्टर असलम परवेज ने गुनगुनाते हुए कहा कि निकले हैं वह लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने, किरदार जिनके खुद मरम्मत मांग रही है। रांची में चली ऐसी बर्फीली हवा, के उलटने को थी रोटी, उलट दी तवा। तो मजमा वाह किया बात है कह कर झूम उठा। वहीं जब समाजसेवी अक़ीलुर्रह्मान ने जब पढ़ा कि खेत से दूर दमकते हुए दो राहे पर, एक सरशार जवा मैने खड़ा पाया था। तो मजमा तालियों से हौसला अफ़ज़ाई की। सेंट्रल मुहर्रम कमिटी के महासचिव अक़ीलुर्रह्मान और समाजसेवी डॉ असलम परवेज के द्वारा मुख्य‌ अतिथि इक़बाल दुर्रानी को पगड़ी बांध कर और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इनके अलावा दिलशाद नजमी, मंजूब बैग, डॉक्टर उज़ैर हमजा, सैयद निहाल हुसैन सरियावी, नसीर अफसर, कुद्रतुल्लाह कुदरत, अनुराधा अनु, रेनू मिश्रा, अक़ीलुर्रह्मान ने कलाम पेश किया। इस मौके पर डॉक्टर असलम परवेज, अकील उर रहमान, मुजीब कुरैशी, औरंगजेब खान, मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर, मस्तक़ीम आलम, अब्दुल मन्नान, अब्दुल खालिक, मो उस्मान, लाडले खान, मोहम्मद शकील, नवाब चिश्ती, सरवर खान, जावेद कुरेशी, उमर खान, आजम अहमद, हाजी साहेब अली, मो फ़ैज़ी, शाहिद, मंजर इमाम, मो शकील, ज़फ़र खान गोल्डी, शहजाद बबलू, सैयद नेहाल अहमद, शोएब अंसारी, औरंगजेब खान आदि थे।

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