जन्मदिन विशेष : सुनील बंसल ने जीत का गणित कैमेस्ट्री में बदला – के.के. उपाध्याय

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Report by : Rishikesh Narayan

वरिष्ठ पत्रकार के. के. उपाध्याय की पुस्तक ‘मोदी – योगी का विजन’ से

लोकसभा चुनाव 2019 की डगर भाजपा के लिए कठिन लग रही थी। उप्र में बसपा और सपा के बीच गठबंधन हो चुका था । राज्य सरकार के काम की भी परीक्षा होनी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों के लिए जो योजनाएं चलाई थीं वे धरातल पर थीं। लोगों के घरों में गैस पहुंच चुकी थी। पक्के घर मिलने लगे थे। जिनकी झोपडियां हर बारिस और तेज आंधी में ढह जाती थी उन्हें पक्की छत मिल चुकी थी। घर में शौचालय बन चुके थे। ऐसी छोटी बड़ी कई योजनाएं थीं जो सीधे बगैर किसी भेदभाव के लोगों को मिल चुकी थीं। सबसे बड़ी चुनौती थी इन योजनाओं को वोट में तब्दील करना। लाभार्थियों को बताना कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनके जीवन को बदल दिया। यह सचमुच बड़ा काम था। प्रदेश के संगठन मंत्री श्री सुनील बंसल ने संगठन को मथना शुरू किया। वे जानते थे कि गरीबों के कल्याण की योजनाएं 100 से ज्यादा थीं। ऐसे में हरेक के घर पहुंचना एक बड़ी चुनोती था। इन सभी योजनाओं में चमत्कार का काम किया उज्जवला योजना ने। इस योजना में गरीब परिवार को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया गया। योजना की शुरूआत बलिया जिले से गृहमंत्री अमित शाह ने की। इन योजनाओं को लेकर संगठन मंत्री सुनील बंसल ने पूरा खाका तैयार कर लिया था। केन्द्रीय संगठन से कहा गया कि इन योजनाओं के लाभार्थियों से व्यक्तिगत संपर्क किया जाए। क्रमबद्ध तरीके से इन लोगों से संपर्क किया गया। यह एक चमत्कार से कम नहीं था।

डाटा जुटाना

संगठन मंत्री सुनील बंसल कहते हैं कि हमनें अपने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता को एक पत्रक दिया । यह एक फारमेट था जिसमें पता करना था कि कितनों को गैस कनेक्शन मिला । कितनों के घर शौचालय बने। कितने आवास मिले । ऐसे ही अलग अलग योजनाओं का जिक्र उस फारमेट में था। यह डाटा लगभग 3 करोड़ 50 लाख का था। व्यक्तिगत स्तर पर इन सभी से मिलना था। सबसे पहले केन्द्र सरकार के लाभार्थियों की सूची बनाने का काम दिया गया। यह काम कोई छह महीने तक चला । इसके बाद पूरे डाटा को डिजीटल किया गया। सुनील बंसल कहते हैं हमने कॉलसेंटर बनाए। जो डाटा कलेक्ट किया था उसके आधार पर सभी लाभार्थियों को फोन करके पूछा गया कि क्या उन्हें योजना का लाभ मिला । इससे क्रास चेकिंग तो हुई ही लाभ पाने वाले परिवार के घर में एक बार फिर हमारी पहुंच हो गई । एक एक गांव का डाटा इकट्ठा किया गया। यह डाटा गांव वाइज,योजना वाइज, फिर इसमें कितनी महिलाओं को लाभ मिला । कितने पुरूष थे। कितने युवा थे। किस जाति के हैं। इस प्रकार संगठन के पास हर गांव का डाटा आ चुका था। अब यह डाटा कोई पौने तीन करोड़ का भाजपा के पास था। यह बहुत बड़ा काम संगठन कर चुका था।

नरेन्द्र मोदी का नाम हरेक तक पहुंचाया

अब बारी थी डाटा के आधार पर संपर्क करने की। सुनील बंसल के मुताबिक हमने सूची को बूथ वाइज बनाकर कार्यकर्ता तक पहुंचा दिया। इस सूची के आधार पर प्रत्येक लाभार्थी के घर घर जाना था। हर कार्यकर्ता को एक हैंडबिल दिया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में बताया गया था। मकसद था लाभार्थी को यह बताना कि मोदी जी के आने के बाद कैसे उनकी जिंदगी में बदलाव आया। इस अभियान के तहत अब ढाई करोड़ लोगों से संपर्क करना था। 15 दिन यह अभियान चला । इस जनसंपर्क के दौरान जो अनुभव सामने आए वे बेहद चौंकाने वाले थे। सुनील बंसल बताते हैं कि – इस अभियान में सभी दलों के लोग मिले। इनमें सपा के वोटर भी थे तो बसपा के वोटर भी। यहां तक कि मुस्लिम को भी। क्योंकि योजना का लाभ देने का आधार था 2011 की जनगणना में जो भी परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं या जिन्हें गरीब मान लिया गया उन्हें लाभ मिला है। इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं किया गया। लाभ देते वक्त तुष्टिकरण नहीं हुआ। जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में यही होता था। सबका साथ सबका विकास का मूल मंत्र योजनाओं के लाभ देने में साफ दिख रहा था। सबसे बड़ी बात यह थी कि किसी की भी सिफारिश पर न तो नाम काटा जा सकता था और न ही जोड़ा जा सकता था। हां कभी कभी प्रधान नाम देने में विलंब कर देता था । लेकिन वह भी किसी को वंचित नहीं कर सकता था। इन योजनाओं का लाभ यह हुआ कि जो भाजपा के विरोधी थे उनका भाजपा के प्रति रवैया नरम हुआ। वे अब मोदी जी और भाजपा के खिलाफ नहीं बोल रहे थे। जिन घरों में संपर्क किया गया उस घर पर प्रधानमंत्री मोदी का स्टीकर लगाया गया। इस स्टीकर पर कुछ लिखा नहीं था सिर्फ मोदी जी की तस्वीर थी। इसका लाभ भी हुआ। जिस घर पर स्टीकर लग गया यानी उस परिवार को केन्द्र की योजना का लाभ मिल चुका था।

महिला संपर्क अभियान

सुनील बंसल ने बताया कि महिलाओं में जाति की भावना नहीं होती। न ही वे जाति को लेकर चर्चा करती दिखाई देती हैं। वे जब मिलती हैं तो बहुत जल्दी एक दूसरे की भावना को समझ जाती हैं। कोई अपरिचित महिला भी किसी से मिलती है तो बहुत जल्दी वे घुलमिल जाती है। महिलाएं एक दूसरे को बेहतर समझती हैं। वे जब मिलती हैं तो एक दूसरे को देखकर मुस्कराती हैं। बातचीत शुरू कर देती हैं। उनके भीतर जो जातिगत भावनाएं होती भी हैं तो घर पुरूषों द्वारा गाइड की हुई होती हैं। उनका मूल स्वभाव जाति पर चर्चा का नहीं है। वे अपनत्व बांटती हैं। यही सोच कर महिलाओं से बात करने के लिए महिलाओं को फील्ड में उतारा गया। 12 फरवरी से 28 फरवरी 2019 तक महिला लाभार्थी संपर्क अभियान चलया गया। महिलाओं की छोटी छोटी पंचाटय की गई। कहीं 20 तो कहीं 25 महिलाओं को एक जगह बुलाया कर एकत्रित किया गया। इन पंचायतों में महिलाओं को मोदी जी के द्वारा दी गई योजनाओं की जानकारी दी गई।

तीन तलाक

इस संपर्क अभियान में एक बात यह निकल कर आई कि मुस्लिम महिलाएं इस बार खामोश थी। तीन तलाक से उन्हें आजादी मिली थी। जिनके घर बेटियां थीं वे बोल कुछ नहीं रही थीं मगर उनके चेहरे पर संतोष पढ़ा जा सकता था। वे जानती थी कि इस एक निर्णय ने उनका पूरा जीवन बदल दिया था। चुनाव में इसका परिणाम देखने को मिला। इस बार मुस्लिम महिलाओं का वोट प्रतिशत अन्य चुनावों की अपेक्षा कम रहा। उन्हें वोट डालने नहीं जाने दिया। वे जानते थे कि यदि ये वोट डालने जाएंगी तो भाजपा को वोट दे आएंगी।

कमल ज्योति अभियान

यह बहुत बड़ा अभियान था। इस अभियान को तहत तय किया गया कि जिन लोगों को योजनाओं का लाभ मिला है वे अपने घर 26 फरवरी को एक दीपक जलाएं। कमल की आकृति का एक दीपक बनाया गया। लगभग ढाई करोड़ घरों तक दीपक पहुंचाया गया। सभी से आग्रह था कि वे 26 फरवरी 2019 की शाम 6 बजे अपने घर के आंगन में एक दीपक जलाएं। कमल दीप जलाने की शुरूआत देश के गृहमंत्री अमित शाह ने गाजीपुर से की। श्री सुनील बंसल कहते हैं कि मुस्लिमं परिवारों ने भी यद दीपक जलाया। बूथ के कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई और कमल ज्योति कार्यक्रम एक पर्व बन गया।

ग्राम चौपाल

लाभार्थियों के संपर्क का अभियान पूरा हो चुका था, मगर सतत मेहनत जारी थी। अब बारी थी ग्राम चौपालों की। हर गांव में ग्राम चौपाल लगाई गई। इन चौपालों में स्थानीय स्तर पर जो जनसमस्याएं थी उन्हें सुना गया। यह चौपाल सरकार ने भी लगवाई और संगठन ने भी । इनका असर यह हुआ कि छोटी छोटी समस्याओं का निराकरण मौके पर होता गया। अब भाजपा का अंडर करंट काम करने लगा था।

मैथमेटिक्स नहीं केमेस्ट्री

जहां सपा-बसपा गठबंधन करके अपने वोट का मेथमेटिक्स तय कर रहे थे। उनका फार्मूला पुराना था। यादव,दलित और मुस्लिम। वोट जोड़ लिए और जीत तय कर ली । उधर सुनील बंसल केमेस्ट्री बना रहे थे। जिसमें पिछड़े, युवा, महिला, दलित सभी वर्गों के कल्याणकारी काम और उनसे संपर्क। परिणाम सामने था – सारे मिथक टूट गए। गणित फेल हो गया। केमेस्ट्री काम आई। लोकसभा चुनाओं में भाजपा का परचम लहराने लगा। महागठबंधन पर यह एतिहासिक जीत थी जिसकी कल्पना शायद भाजपा ने भी नहीं की थी।

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