रामकथा पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, जनकपुर की गाली भी प्रभु राम को मीठी लगी : नीतू नवगीत
नई दिल्ली : सामाजिक-साहित्यिक शोध संस्था, मुंबई द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में रामकथा का जनमानस पर प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश-विदेश के अनेक वक्ताओं ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए। इस अवसर पर संस्था के सचिव प्रदीप कुमार सिंह के संपादन में तैयार हो रहे श्रीराम कथा विश्व संदर्भ कोश इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण के द्वितीय खंड भजन कीर्तन में श्रीराम पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि जनमानस ने भगवान राम को लोकगीत और भजन कीर्तनों में सहेजा है। भगवान राम के जीवन के हर पहलू से जुड़े हुए गीत और भजन मौजूद हैं। चाहे भगवान राम के जन्म का प्रसंग हो, चाहे गंगा तट पर केवट संवाद का प्रसंग हो या फिर जनकपुर में सिया और राम के मिलन का प्रसंग हो, हजारों गीत और भजन लिखे गए और सदियों से गाए जा रहे हैं। इस अवसर पर लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने बिहार की कई पारंपरिक लोक गीतों को गाकर सुनाया और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं के समक्ष बिहार के लोकगीतों की सोंधी खुशबू को फैलाया। आहो वीणा वादिनी मईया सातों सुर के तू ही रचैया आहो वीणा वादिनी मईया, कहवां के पियर माटी कहां के कुदार हो, कहवां के सात सुहागिन माटी कोड़े जाते हो, राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी, राम जी से पूछे जनकपुर के नारी बताद बबुआ, लोगवा देत काहे गारी, मिथिला के सिया धीया जगत जननी आहे,सिया जी बहिनियां हमार हो, राम लगिहैं पहुंनवा जैसे गीत गाकर नीतू नवगीत में वाहवाही प्राप्त की। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ दिलीप सिंह, डॉ. रंजय कुमार सिंह, मॉरीशस के ज्ञान धानुक चंद, ई मादे धर्म यश, अंजू घरबरन, अगमानंद जी महाराज, दिव्यानंद जी महाराज डॉ शिरीन कुरेशी, डॉ किरण त्रिपाठी, डॉ तेजस्वी गोस्वामी, डॉ गोपाल जी राय, डॉ सतीश रावल, मंजू पोद्दार, कल्पना लाल, सुरेश चंद्र तिवारी, कृष्ण जी श्रीवास्तव, डॉ दीनदयाल, डॉ भावना शुक्ला डॉ माला सिन्हा, डॉ कुसुम सिंह आदि ने भी रामकथा के विश्व संदर्भ कोश और रामकथा का जनमानस पर प्रभाव विषय पर अपने विचार रखे। अधिकांश वक्ताओं ने कहा कि राम सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि विश्व के हर कोने में रामकथा से प्रेरणा लेने वाले लोग हैं। अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों में राम कथा अलग-अलग ढंग से कही और समझी जाती है। रामत्व की भावना हर प्रकार की राम कथा का सार है, जिसमें समस्त विश्व का कल्याण सन्निहित है।