इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह से सीखे बिहार-झारखंड के अफसर, यूं ही नहीं है इंदौर सबसे साफ शहर
पटना से डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी
बिहार में भागलपुर का नगर निगम भ्रष्टाचार को लेकर फिर एक बार चर्चा में है। मेयर के जिला परिषद अध्यक्ष पति के पेट्रोल पंप स्टाफ और ट्रैक्टरों के नाम पर निगम को से लाखों रुपए के भुगतान किए गए हैं। हालांकि अफसर इस घोटाले को दबाने में लगे हैं मगर भागलपुर नगर निगम ही नहीं बिहार और झारखंड के अधिकांश नगर निगम घपले-घोटाले और गंदगी के पर्याय बने हुए हैं, जिसकी कहानी अक्सर उजागर होती रहती है। लेकिन इस स्टोरी में मध्य प्रदेश के एक ऐसे कलेक्टर की कहानी बताई जा रही है जिससे बिहार के अफसरों को सीख लेनी चाहिए। जी हां! हम यहां बात कर रहे इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह की, जिन्हें इंदौर को देश का सबसे साफ शहर बनाने का श्रेय दिया जाता है।
सफाई कर्मी गए छुट्टी पर तो डीएम ने विधायकों संग लगाई झाड़ू
बुधवार को इंदौर की सड़कों पर विधायक तुलसी सिलावट, महेंद्र हार्डिया, कलेक्टर मनीष सिंह और नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को झाड़ू लगाते हुए देखा गया। सोशल मीडिया पर यह खबर बहुत वायरल हो रही थी। मैंने आज कलेक्टर मनीष सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि मंगलवार को गोगादेव नवमी का त्यौहार था। बाल्मीकि समाज के लोग यह त्यौहार मनाते हैं लेकिन उस दिन भी सफाईकर्मियों ने काम किया। लेकिन उसके दूसरे दिन उन्हें छुट्टी दे दी जाती है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा, ‘इस दिन शहर के सभी सफाईकर्मियों को छुट्टी दी जाती है।’ इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, “शहर को साफ रखने के लिए सभी नागरिक, नगर निगम कर्मचारी और मंत्री सड़कों पर झाडू लगाते हैं। यह दिन उन सफाईकर्मियों के सम्मान के लिए है जो पूरे साल शहर को साफ रखते हैं।”
कलेक्टर ने बताया कि ऐसा कर के हम सफाईकर्मियों को प्रेरित और और उर्जस्वित करते हैं। उन्हें संदेश देते हैं कि उनके लिए हम भी झाड़ू उठा सकते हैं। इसके साथ हम इंदौर की जनता को भी यह संदेश देते और समझाते हैं कि “सफाई हमारी खुद की जिम्मेदारी हैं।”
नगर आयुक्त रहते शुरू की थी व्यवस्था
कलेक्टर मनीष सिंह बताते हैं कि यह व्यवस्था उन्होंने वर्ष 2017 में शुरू कराई थी। उस समय वे इंदौर के नगर आयुक्त थे। इंदौर के लोग बताते हैं कि नगर आयुक्त के रूप में निगम की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मनीष सिंह को काफी संघर्ष करना पड़ा था। अल्प संसाधन में उन्होंने उन्होंने न केवल निगम का कायाकल्प किया बल्कि अपने सफाई कार्य के दायित्व को बेहतरीन ढंग से निभाने के लिए जिम्मेदार बनाया। करीब एक हजार वैसे कर्मचारी और सफाईकर्मी हटाए गए थे जिन्होंने यह मान रखा था कि उन्हें बिना काम किए वेतन उठाना है। उनके प्रयासों से आर्थिक तंगी झेल रहा इंदौर नगर निगम पहली मुनाफे में आया। इंदौर को साफ शहर बनाने का संकल्प पूरा करने के लिए निगमायुक्त मनीष सिंह को 3 साल तक जीतोड़ मेहनत करनी पड़ी। उनके कई काम देश में नजीर बने। उनके समय में ही इंदौर देश में सफाई के मामले में नंबर वन बना। आज इंदौर स्वच्छ शहर के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसके लिए मनीष सिंह की करिश्माई कार्यशैली की इंदौर के लोग भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं। अपने बेहतरीन कार्यशैली के कारण मनीष मध्य प्रदेश की मीडिया में सालों से सुर्खियों में रहे हैं। मनीष कहते हैं कि मेरा यह सौभाग्य है कि मैं आज यहां का कलक्टर हूं। अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी पूर्वक पालन कर रहा हूं। वर्ष 2009 राज्य प्रशासनिक सेवा से तरक्की पाकर आईएएस बनने वाले मनीष सिंह अपने काम के बल पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के काफी भरोसेमंद सिपाहसलार है। कलेक्टर मनीष सिंह कहते हैं कि यदि कोई ठान ले, मन में संकल्प कर ले तो कोई भी काम असंभव नहीं रह जाता है।