Bharat Varta Desk : राजस्थान राज्यसभा चुनाव के ‘रण’ में बड़े उद्योगपति एवं एक मीडिया समूह के मालिक सुभाष चंद्रा की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एंट्री ने कांग्रेस में हलचल पैदा कर दी थी। जिसका नतीजा था कि कांग्रेस को अपने विधायकों को सेफ हाउस में रखना पड़ा था। हालांकि, फूट के डर से भाजपा ने भी अपने विधायकों को सेफ हाउस में रखा था। लेकिन, अब चुनाव परिणाम के नतीजे आ गए हैं। इस हिसाब से राजस्थान की 4 राज्यसभा सीटों में से कांग्रेस ने 3 पर जीत हासिल की है। भाजपा ने एक सीट पर कब्जा जमाया है। जबकि, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुभाष चंद्रा को हार का सामने करना पड़ा है।
200 विधानसभा सदस्यों वाले राजस्थान में 4 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए। एक सीट के लिए 41 वोटों की जरूरत थी। कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला को अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को अपना प्रत्याशी बनाया था। वहीं, सुभाष चंद्रा ने बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर राजस्थान की राजनीति को दिलचस्प कर दिया था।
राज्यसभा चुनाव में राजस्थान कांग्रेस ने अपने सभी तीन प्रत्याशियों को जीताने में कामयाबी हासिल की है। इसका सारा श्रेय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व को दिया जा रहा है। जिन्होंने कांग्रेस, निर्दलीय और दूसरी पार्टियों के विधायकों को भी अपने साथ जोड़कर रखा।
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के लिए सुबह 9 बजे से मतदान शुरू हो गया था। सबसे पहले सीएम अशोक गहलोत ने मतदान किया था। इसके बाद दूसरा वोट बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने डाला था। वोट डालने के बाद अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पोलिंग एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे। माना जा रहा है कि क्रॉसवोटिंग के डर से गहलोत ने यह कदम उठाया था। वहीं, कांग्रेस को जिन विधायकों पर सबसे अधिक क्रॉस वोटिंग की आशंका थी, उनसे पहले वोट डलवा लिया गया। बसपा से कांग्रेस में आए सभी 6 विधायकों से भी पहले ही मतदान करवा लिया गया।
राज्यसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले ही भाजपा के समर्थन से मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा ने दिल्ली की राह पकड़ ली थी। क्रॉस वोटिंग पर चंद्रा ने कहा कि जब मैं यही काम करवाना चाह रहा था और दूसरे ने कर दिया तो इसमें क्या शिकायत?
चर्चा है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भाजपा आलाकमान की अदावत राज्यसभा चुनाव में महंगी पड़ी है। जिसका नतीजा रहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति करने वाली भाजपा, राजस्थान में वसुधरा के दगा से और गहलोत के माइंड-गेम के आगे मात खा गई।
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