बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं को कुछ बीमारियां भी अपना शिकार ज्यादा बनाती हैं। ऐसे में उन्हें अपने स्वास्थ्य की ज्यादा देखभाल करने की जरूरत होती है। अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए महिलाओं को 35 साल की उम्र के बाद समय-समय पर कुछ जरूरी टेस्ट करवाते रहने चाहिए। आइए जानते हैं आखिर कौन से हैं वो जरूरी टेस्ट।
मेमोग्राम-
महिलाओं को ज्यादातर ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का खतरा बना रहता है। ब्रेस्ट कैंसर और ट्यूमर की जांच के लिए यूं तो मेडिकल साइंस में कई टैस्ट बताए जाते हैं लेकिन मेमोग्राम इस रोग के बारे में सटीक जानकारी देने का सस्ता तरीका है। मेमोग्राम आपके स्तनों का एक्स-रे है। यह स्तनों के कैंसर की पहचान का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। महिलाओं को 40 की उम्र के बाद स्तन कैंसर के खतरे से बचने के लिए प्रतिवर्ष मेमोग्राम करवाना चाहिए।
पैप स्मीयर-
गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच की जाती है जिसे श्पैप स्मीयरश् कहा जाता है। स्तन कैंसर के बाद सर्विक्स कैंसर दूसरी ऐसी बीमारी है जो आजकल महिलाओं को अपना शिकार बना रही हैं।
पैप स्मीयर एक साधारण टेस्ट है जिसमें ग्रीवा से कोशिकाओं के एक छोटे से सैम्पल को कैंसर की स्थिति का पता लगाने के लिए लिया जाता है। 30 साल या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को पैप स्मियर टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस-
एचपीवी का अर्थ ह्यूमन पेपिलोमा वायरस होता है। पेपिलोमा एक खास प्रकार का मस्सा होता है, जो किसी विशेष प्रकार के एचपीवी से फैलता है। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस यानी एचपीवी बहुत खतरनाक होता है। यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण ऐसा संक्रमण है, जिसके लक्षण आमतौर पर नजर नहीं आते हैं।ज्यादातर मामलों में यह संक्रमण स्वतरू ही ठीक हो जाता है लेकिन, गंभीर रूप लेने पर यह सरवाइकल कैंसर का कारण भी बन सकता है।
थायराइड-
थायराइड में वजन बढ़ने के साथ हार्मोन असंतुलन भी हो जाते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है। इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है। थायराइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं।
हाइपरथायरायडिज्म में वजन घटना, गर्मी न झेल पाना, ठीक से नींद न आना, प्यास लगना, अत्यधिक पसीना आना, हाथ कांपना, दिल तेजी से धड़कना, कमजोरी, चिंता, और अनिद्रा शामिल हैं। हाइपोथायरायडिज्म में सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गति, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिकचक्र और इन्फर्टिलिटी के लक्षण दिखाई देते हैं।
बोन डेंसिटी टेस्ट-
हड्डियों के कमजोर होने पर छोटा-मोटा झटका या चोट लगने पर इसके टूटने की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया जैसी बीमारियां का खतरा भी बना रहता है। आजकल गलत खान-पान की वजह से ये समस्या 20 से 30 साल की उम्र की लड़कियों में भी देखी जा सकती है।
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