Bharat varta desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड के देवघर के बाद बिहार की राजधानी पटना पहुंची और बिहार विधान सभा के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। इस मौके पर उनका स्वागत करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं और उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब कोई प्रधानमंत्री बिहार विधानसभा परिसर में आया है। यह कोई सामान्य बात नहीं है, लोक इसे याद रखेंगे।
समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी जिम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष-विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के विकास के लिए काम करें।
बिहार ने आजाद भारत को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है, जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है ।
बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी।
आज़ादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना, जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण दिया । उन्होंने कहा कि बिहार का यह स्वभाव रहा है कि जो इसके लिए कुछ करता है उसके लिए बिहार कई गुना ज्यादा करता है। उन्हें इस बात का गर्व है कि वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो बिहार विधानसभा परिसर में आए हैं।
समारोह को बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा समेत कई लोगों ने संबोधित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने तीन करोड़ की लागत से बने शताब्दी समारोह स्तंभ का भी अनावरण किया।
सही ढंग से भाषण भी नहीं पढ़ पाए तेजस्वी यादव प्रधानमंत्री के मंच पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को जब भाषण देने का मौका मिला तो वे लिखा हुआ भाषण सही ढंग से पढ़ भी नहीं पाए। 4 मिनट के भाषण में पांच जगह रुके। कई बातों को पूरा भी नहीं कर पाया। कई शब्दों का उच्चारण नहीं कर सके। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हुए इतने नर्वस हो गए थे कि अपना लिखा हुआ भाषण भी पूरा नहीं कर पाए।
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