
महावीर वात्सल्य अस्पताल से सालाना दो डाॅक्टर और चार नर्स करेंगे नवजात शिशु रोग में फेलोशिप
एनएनएफ से महावीर वात्सल्य अस्पताल को मिली मान्यता
पटना, भारत वार्ता डेस्क : महावीर मन्दिर न्यास द्वारा संचालित बच्चों के सुपर स्पेशियलिटी महावीर वात्सल्य अस्पताल से अब नियोनेटोलाॅजी में फेलोशिप भी मिलेगी। अस्पताल से प्रत्येक साल दो डाॅक्टर और चार नर्स नवजात शिशु रोग में फेलोशिप ले सकेंगे। महावीर वात्सल्य अस्पताल एनएनएफ से फेलोशिप की मान्यता वाला बिहार का पहला और इकलौता अस्पताल है। फेलोशिप का कोर्स एक साल का होगा।
एनएनएफ यानि नेशनल नियोनेटोलाॅजी फोरम के महासचिव डाॅ दिनेश तोमर द्वारा जारी पत्र में अभी दो साल के लिए मान्यता प्रदान की गयी है। एनएनएफ द्वारा निर्गत इस आशय का प्रमाण पत्र शुक्रवार को महावीर वात्सल्य अस्पताल को प्राप्त हो गया। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने एनएनएफ द्वारा फेलोशिप की मान्यता मिलने पर महावीर वात्सल्य अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों की टीम और अस्पताल प्रबंधन को बधाई दी है।
नेशनल नियोनेटोलाॅजी फोरम के दो सदस्यीय दल ने पिछले महीने महावीर वात्सल्य अस्पताल का दौरा कर अस्पताल में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया था। फोरम के अध्यक्ष डाॅ ललन कुमार भारती और मेडिको लीगल ग्रुप के अध्यक्ष डाॅ वी के गोयल की टीम ने अस्पताल में नवजात शिशु रोग विभाग के विभिन्न आईसीयू, नीकू, प्री टर्म नीकू, पीकू वार्ड आदि में लगे उपकरण, डाॅक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की दक्षता, उनकी शैक्षणिक एवं पेशेवर योग्यता आदि के साथ-साथ साफ-सफाई एवं अन्य पहलुओं का बारीकी से अंकेक्षण किया था। महावीर वात्सल्य अस्पताल के शिशु रोग विभाग के हेड डाॅ बिनय रंजन ने बताया कि एनएनएफ से संबंधन मिलने के बाद अब नियोनेटोलाॅजी में एक वर्षीय फेलोशिप पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। फेलोशिप कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलने के बाद तीन वर्षीय डीएनबी कार्यक्रम के लिए पहल किया जाएगा।
110 बच्चों के भर्ती की सुविधा
महावीर वात्सल्य अस्पताल में बच्चों के लिए 110 बेड हैं। इसमें नीकू, प्री टर्म नीकू, पीकू, प्राइवेट वार्ड शामिल हैं। अस्पताल में नवजात शिशुओं समेत बच्चों के इलाज के लिए हाई इंड वेंटिलेटर, इन्क्यूबेटर, ओमनी बेड जैसे अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। अस्पताल में बच्चों के लिए विशेषज्ञ सर्जन और बच्चों के विशेषज्ञ हृदय रोग विशेषज्ञ भी हैं। जबकि नवजात बच्चों को अंधापन और बहरापन से बचाने के लिए रेटिना और ईएनटी विशेषज्ञों से नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग करायी जाती है। जरूरत पड़ने पर उनका विशेषज्ञों द्वारा समुचित इलाज किया जाता है। बिहार के सुदूर जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी बच्चे रेफर होकर इलाज के लिए यहाँ आते हैं।
Bharat varta Desk बिहार के जाने-माने सर्जन डॉक्टर मृत्युंजय कुमार को कोलकाता में सम्मानित किया… Read More
Bharat varta Desk सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 18 दिसंबर 2025 को हुई बैठक में उड़ीसा… Read More
Bharat Varta Desk : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरूराज स्थित पैतृक गांव कोटवा में… Read More
पटना : अपराध अनुसंधान को वैज्ञानिक और तेज़ बनाने की दिशा में बिहार सरकार ने… Read More
पटना : सांस्कृतिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार द्वारा पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में भोजपुरी… Read More
Bharat varta Desk भाजपा बिहार में संगठनात्मक स्तर पर बड़ा और रणनीतिक बदलाव करते हुए… Read More