होम्योपैथी दारू नहीं दवा है.. डॉ. नीतीश दुबे ने जदयू अध्यक्ष ललन सिंह से मिलकर होम्योपैथी चिकित्सकों का रखा पक्ष

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Bharat Varta Desk : बिहार के छपरा में जहरीले शराब से हुए मौत के लिए पुलिस ने होम्योपैथी दवा /केमिकल से बनी शराब को जिम्मेदार बताया है। इस मामले में होम्योपैथी चिकित्सक को ही मास्टरमाइंड बता पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस घटना के बाद जगह-जगह होम्योपैथी चिकित्सकों को जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। होम्योपैथी को जहरीले शराब कांड से जोड़ने पर पूरे बिहार के होम्योपैथी चिकित्सकों में रोष है। सभी का कहना है कि अफवाह फैलाकर होम्योपैथी को बदनाम किया जा रहा है। इस तरह के भ्रामक व तथ्यहीन अफवाह से लोगों का होम्योपैथी से भरोसा टूटेगा।

होम्योपैथी चिकित्सक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा, ललन सिंह ने दिया आश्वासन

देश के प्रसिद्ध होम्योपैथी विशेषज्ञ व चिकित्सक डॉ. नीतीश चंद्र दुबे ने बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद ललन सिंह से मुलाकात कर होम्योपैथी चिकित्सको का पक्ष रखा है। उन्होंने जदयू अध्यक्ष को बताया कि होम्योपैथी दारू नहीं, दवा है। जदयू अध्यक्ष ने डॉ. नीतीश दुबे को आश्वासन दिया है कि किसी भी होम्योपैथी चिकित्सक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा। उत्पाद विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा होम्योपैथी चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक वार्तालाप करके आपसी सामंजस्य बिठाने का प्रयास किया जाएगा।

डॉ. नीतीश दुबे का कहना है कि कोई ऐसा फार्मूला नहीं है, जो होम्योपैथ की दवा से शराब बनाई जा सकती है। अगर कोई ऐसे चमत्कारी बाबा हैं जो एक शीशी या दो शीशी मिलकार शराब तैयार कर दे तो सामने आए। अगर निगेटिव करना हो तो कुछ भी हो सकता है। दवा और दारू में बड़ा फर्क है। दवा ही स्प्रिट है, इसे स्प्रिट में मिलाने से कुछ नहीं होगा। दवा में 90 प्रतिशत अल्कोहल और 10 प्रतिशत दवा होती है। दवा को संरक्षित करने के लिए ही अल्कोहल का निर्माण किया गया। दवा को शक्तिकृति करने और अधिक समय तक संरक्षित करने के लिए ही अल्कोहल में बनाया जाता है। दवा का रिएक्शन कराकर शराब बनाई ही नहीं जा सकती है। जितना दवा में अल्कोहल है, बस वही है। ऐसी कोई विधि नहीं है कि इस दवा को मिलाकर शराब बना दी जाए। होम्योपैथी दवा से शराब बनाने की बात भ्रामक व तथ्यहीन है। ऐसा न तो कोई प्रमाण है और न ही कोई तथ्य है। बिना वैज्ञानिक पद्धति के प्रमाण व शोध के भ्रांतियां फैलाना सही नहीं है।

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