बिहार के सरकारी विद्यालयों में ‘प्रवेशोत्सव’ : एक कदम उजाले की ओर
पटना: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में यह नवाचारी युग है। शिक्षा विभाग की कटिबद्धता के कारण समाज में सरकारी विद्यालयों के प्रति विश्वास बढने की उम्मीद जताई जा रही है। संस्था प्रधानों की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से शिक्षक समुदाय के मनोबल में भी इजाफा प्रत्यक्ष देखा जा सकता हैं। राज्य में शिक्षा के प्रति जागरूकता को प्रत्यक्ष अनुभूत किया जा सकता हैं। शिक्षा विभाग द्वारा ‘स्टेप ऐप’ और ‘कैच-अप’ पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब 8 मार्च से ‘प्रवेशोत्सव : विशेष नामांकन अभियान’ की शुरुआत की गई है। प्रवेशोत्सव को एक औपचारिक कार्यक्रम के रूप में नही लेकर एक उत्सव अभियान के रूप में लेना एक कदम उजाले की ओर माना जा रहा है।
‘प्रवेशोत्सव : विशेष नामांकन अभियान’
बिहार में यह आम धारणा बन गई है कि सरकारी विद्यालय बच्चों व अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाते हैं। जबकि निजी विद्यालयों में नामांकन की आपाधापी कम होती नहीं दिखती। इस धारणा को बदलने के उद्देश्य से बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के द्वारा ‘प्रवेशोत्सव’ अभियान की शुरुआत की गई है। ‘प्रवेशोत्सव’ अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी अनामांकित और क्षितिज बच्चों को विद्यालय में नामांकित कराना है। शिक्षा विभाग के द्वारा सभी नागरिकों से भी अपील किया जा रहा है कि आइए शिक्षा की रोशनी को घर-घर पहुंचाने में सहयोग दें। अपने आस-पास के सभी अनामांकित बच्चों को इस अभियान में भाग लेने के लिए जागरूक करें। प्रवेशोत्सव : विशेष नामांकन अभियान में विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य, शिक्षक, जन-प्रतिनिधि, जीविका दीदी, टोला सेवक, तालिमी मरकज के स्वयंसेवकों एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वयंसेवी संस्थाओं की भी भागीदारी होगी।
अभियान 8 मार्च से 20 मार्च तक चलेगा
प्रवेशोत्सव अभियान का प्रारंभ हो चुका है। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की महत्वपूर्ण उपस्थिति में अभियान का विधिवत शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जागरूकता वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया। यह अभियान 8 मार्च से 20 मार्च तक चलेगा।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि प्रवेशोत्सव अभियान 13 दिनों तक चलेगा। अभियान में हर नागरिकों का सहयोग मिलना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि यह अभियान अपने मकसद में सफल होगा।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा है कि हमारा मकसद है कि कोई भी बच्चा स्कूल के बाहर न रहे। उन्होंने कहा कि विद्यालय के प्रति बच्चों के आकर्षण को बढाने हेतु कहा कि ‘must push children to schools but schools must pull’.
चुनौतियों को दूर कर ‘प्रवेशोत्सव’ साबित हो सकता है ‘आनंदोत्सव’
प्रवेशोत्सव अभियान से सरकारी विद्यालयों में रिकॉर्ड नामांकन होने की संभावना और आशा की जा रही है कि पिछले सारे नामांकन रिकॉर्ड टूट जाएंगे। अभियान के माध्यम से अनामांकित और क्षितिज बच्चों को विद्यालयों से जोड़ने के बाद शिक्षा विभाग और विद्यालयों के लिए यह भी महत्वपूर्ण चुनौती होगा कि बच्चों का ड्रॉपआउट न हो। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व सुविधाएं मिले। इसके लिए शिक्षकों की लंबित नियुक्ति प्रक्रिया भी जल्द पूरा करना होगा। विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति व उनके क्रियाकलापों की निगरानी भी ऑनलाइन ऐप के माध्यम से हो। स्कूल के विकास के लिए और बच्चों को मिलने वाले सुविधाएं में पारदर्शिता दिखे। शिक्षकों को भी अधिक सुविधायें और सम्मान मिले। शिक्षिकों को और अधिक दक्ष बनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन हो। वैसे तो चुनौतियों व्यवस्था का अंग है ही। लेकिन अगर इन चुनौतियों के समाधान का रास्ता निकाल दिया जाए तो ‘प्रवेशोत्सव’ आने वाले दिनों में ‘आनंदोत्सव’ साबित हो सकता है।