30 हजार की आबादी वाला अस्पताल ड्रेसर के भरोसे, तो क्या इसी स्वास्थ्य व्यवस्था के भरोसे तीसरी लहर से निबटने की है तैयारी …
सुपौल से राजीव मिश्रा की रिपोर्ट
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार में दवा, ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और अन्य संसाधन के अभाव में मरीज तड़प- तड़प कर मर गए लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कोई सबक नहीं लिया। तीसरी लहर आने वाली है। लोग डरे हुए हैं। सरकार और स्वास्थ्य महकमा तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारी के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं मगर उनके दावों में कितनी सच्चाई है, इसका नमूना है सुपौल जिले के करजाइन बाजार का अस्पताल।
न डॉक्टर, न दवा और ना ही नर्स
वर्ष 1980 में बन्ना करजाईन भूधरमल शारदा राजकीय औषधालय 30 हजार की आबादी का अस्पताल है। इस अस्पताल में ना तो किसी बीमारी की दवा है और ना ही डॉक्टर, नर्स और अन्य मजबूत संसाधन।एक ड्रेसर के सहारे वर्षों से यह अस्पताल चल रहा है।
करजाईन बाजार में इस अस्पताल में स्वास्थ सुविधाओं को लेकर स्वास्थ विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है। इस को लेकर क्षेत्र के मरीज व परिजनों में स्वास्थ विभाग के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
लोगों ने कहा- अस्पताल खुद बीमार, क्या करेगा कोरोना का इलाज
दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद शारदा, व्यापार मंडल के सचिव महेश आनंद देव ने बताया कि जब इस कोरोना काल में भी अस्पताल खुद ही बीमार है तो यहां मरीजों का इलाज कैसे संभव हो पाएगा। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण जहां स्वास्थ सेवाओं को चुस्त दुरुस्त रखने का विभाग दावा कर रहा है। वहीं यह अस्पताल स्वास्थ विभाग की पोल खोल रहा है। इलाज के लिए लोग इधर उधर भटकने को मजबूर हैं। अस्पताल भवन की हालत भी ठीक नहीं है। लोगों का कहना है कि यह महज एक नमूना है। ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों का यही हाल है।
हेल्थ मैनेजर ने कहा……
इस बाबत हैल्थ मेनेजर मुकेश कुमार ने बताया कि डॉक्टर के अभाव में आयुष चिकित्सक सुरेंद्र मंडल करजाईन व राघोपुर अस्पताल दोनों जगह ड्यूटी करते हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल भवन का शेष काम जल्द ही पूरा हो जाएगा।