
Bharat varta desk: उत्तर प्रदेश में भाजपा से गठबंधन नहीं होने को लेकर जनता दल यू कानूनी विवाद गहराता जा रहा है। खासतौर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बीच का झंझट पूरी तरह उभर कर सामने आ गया है। या यूं कह सकते हैं कि दोनों के बीच तलवारें खिंच गई हैं।
दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के लिए 26 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा को सार्वजनिक करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दिल्ली में अपने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि आरसीपी सिंह को गठबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी मगर वे इस में फेल रहे। इसके बाद कल आरसीपी समर्थक पार्टी की नेत्री ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जमकर हमला बोला।
आज पटना में ललन सिंह ने एक बार फिर अपने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर निशाना साधा है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आरसीपी ने चार माह पहले हमलोगों से कहा था कि यूपी चुनाव को लेकर उनकी गृह मंत्री और बीजेपी के दूसरे नेताओं से बात हुई थी,जिसके बाद हमने उन्हें जिम्मेदारी सौंप दी। ललन सिंह ने बताया कि आरसीपी ने कहा था भाजपा की तरफ से उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी गई थी, जिसके बाद 30 उम्मीदवारों की सूची दी गई थी। लेकिन इसके बाद कोई सकारत्मक उत्तर नहीं मिला। बीच में कई दौर की बात हुई। आरसीपी ने भी भरोसा दिया कि बात हो रही है। इसी बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली में प्रेस वार्ता में यह कह रहे थे कि यूपी में उनका गठबंधन सिर्फ अपना दल और संजय सहनी जी की पार्टी से ही है। यह हमारे लिए चौंकानेवाली बात थी। लेकिन हमारी बात सीधे भाजपा से नहीं हो रही थी। हम लोग इसके लिए पूरी तरह आरसीपी सिंह साहब पर निर्भर थे और वे जो कहते थे उस पर हम लोग भरोसा करते थे। वह कहते रहे कि भाजपा नेताओं से गठबंधन की बात चल रही है। हमने उनसे कहा कि यदि ऐसा है तो भाजपा की ओर से इस पर अधिकृत बयान आना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम लोगों को समय रहते यह पता चलता कि गठबंधन नहीं होगा तो हम लोग अकेले लड़ने के लिए ठीक से तैयारी करते। मीडिया के सवाल के जवाब में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अब तो यह आरसीपी सिंह ही बताएंगे कि वह भाजपा में किस से बात कर रहे थे। भाजपा की ओर से उन्हें किस तरह का ऑफर था, वह ऑफर कितना ईमानदार था।
इन सवालों के बीच आरसीपी सिंह की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। सबकी नजर पार्टी के दो दिग्गज नेताओं के बीच छिड़ी जंग की ओर है कि इसका परिणाम क्या होता है?
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