Bharat Varta Desk : देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहमा-गहमी तेज हो गई है। जहां एक ओर बीजेपी की अगुवाई में केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए सभी दलों से बातचीत के जरिये राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने में लगा है। वहीं विपक्ष को भी शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला के इनकार के बाद राष्ट्रपति पद का चेहरा मिल गया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति बन गई है। यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से विपक्ष का उम्मीदवार घोषित किया गया। उम्मीदवार के चयन के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश, सुधींद्र कुलकर्णी, दीपांकर भट्टाचार्य, शरद पवार, डी राजा, तिरुचि शिवा (डीएमके), प्रफुल्ल पटेल, येचुरी, एन के प्रेमचंद्रन (आरएसपी), मनोज झा, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सुरजेवाला, हसनैन मसूदी (नेशनल कॉन्फ्रेंस), अभिषेक बनर्जी और रामगोपाल यादव भी बैठक में पहुंचे। ओवैसी की पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील भी बैठक में मौजूद रहे। पिछली बैठक में एआईएमआईएम को नहीं बुलाया गया था। सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि पिछली बार उन्हें नहीं बुलाया गया था इसलिए वह नहीं आए थे।
विपक्ष जिन-जन बड़े नामों पर चर्चा कर रहा था, सभी एक-एक करके इंकार करते जा रहे थे। ऐसे में विपक्ष के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे। अगर जल्द किसी के नाम पर सहमति नहीं बनती तो विपक्ष में और फूट पड़ने की आशंका थी।
कौन हैं यशवंत सिन्हा
बिहार के पटना में जन्मे और शिक्षित हुए सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। उन्होंने यह कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के पश्चात् पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट थे।
राजनीतिक करियर
यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए।
1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया।
1990-91 में वे चंद्रशेखर सरकार में वित्तमंत्री रहे।
जून 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में अटल सरकार में उनको वित्त मंत्री और विदेश मंत्री नियुक्त किया गया।
22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे।
मोदी सरकार को घेरने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मार्च 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए।
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