Bharat varta desk:
सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के लिए माता-पिता को जिम्मेदार माना है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में तेजी से बन रहे कोचिंग संस्थानों के नियमन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. 21 नवंबर को इसकी सुनवाई के दौरान छात्र आत्महत्या के आंकड़े जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी के बेंच के सामने रखे गए. याचिकाकर्ता अनिरुद्ध नारायण मालपानी की तरफ से वकील मोहिनी प्रिया ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े रखे. उन्होंने बताया कि देश के 8.2 प्रतिशत छात्र आत्महत्या करने की वजह से मरते हैं.
लेकिन इस पर लाचारी दिखाते हुए बेंच ने कहा कि वो मौजूदा स्थिति में बदलाव के लिए दिशा-निर्देश नहीं दे सकती. हालांकि कोर्ट ने इस स्थिति पर गंभीर टिप्पणी की. उसने कहा,
“ये सब करना आसान नहीं है. इन घटनाओं के पीछे माता-पिता का बनाया दबाव (भी) जिम्मेदार है. छात्रों से ज्यादा, उनके पेरेंट्स उन पर दबाव बना रहे हैं. ऐसी स्थिति में भला कोर्ट कैसे निर्देश दे सकता है.”
जस्टिस खन्ना ने कहा कि हालांकि, हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोई कोचिंग संस्थान हो. लेकिन स्कूलों की स्थितियों को देखें. वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
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