आरएसएस प्रचारक मदन दास देवी का बिहार- झारखंड से था गहरा जुड़ाव, पुणे पहुंचा पार्थिव शरीर
Bharat varta desk:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मदन दास देवी के पार्थिव शरीर को पुणे स्थित मोतीबाग संघ कार्यालय में लाया गया है जहां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने देशभर से संघ प्रचारक और भाजपा से जुड़े नेता पहुंच रहे हैं। सरसंघचालक मोहन भागवत, गृह मंत्री अमित शाह समेत संघ के कई दिग्गज और मंत्री यहां पहुंचने वाले हैं। पुणे में ही मदन दास देवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बिहार झारखंड से गहरा प्रेम-अनिल ठाकुर
आर एस एस के बिहार और झारखंड के संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर ने कहा है कि भारत माता की दिन-रात आराधना करने में लगे करोड़ों स्वयंसेवक हैं जो आज बहुत व्यथित हैं, उन्होंने अपने एक मार्गदर्शक को खोया है। जो स्वयंसेवक मदन दास देवीजी के संपर्क में रहे, वे जानते हैं कि कैसे उन्हें वैचारिक रूप से तैयार करने का काम उन्होंने किया।उन्हीं की अगुवाई में छात्र संगठन एबीवीपी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वे 1970 से 1992 तक अभाविप के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे। मदन दास देवी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संघ योजना से निकले पहले प्रचारक थे। उनको बिहार और झारखंड से गहरा लगाव था। अनिल ठाकुर ने कहा कि 1990 के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन महामंत्री रहते उन्होंने मुझे अविभाजित बिहार का संगठन महामंत्री घोषित किया था। वे दर्जनों बार बिहार और झारखंड आए थे। विद्यार्थी परिषद के संगठनकर्ता के रूप में और संघ के प्रचारक के रूप में भी। उन्होंने पटना, रांची, धनबाद, जमशेदपुर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समेत सभी प्रमुख शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास किया था। बिहार और झारखंड के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी। वे कुशल और प्रभावी संगठनकर्ता के साथ ही साथ अत्यंत प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी शख्सियत थे। बहुत ही अधिक मेहनती भी। उस समय कार- मोटर का अभाव था। हम को लेकर वे रिक्शे से दूर-दराज तक जाया करते थे संगठनों कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए।उनके तैयार किए कई कार्यकर्ता आज आरएसएस, भाजपा सहित संघ के कई अनुषांगिक संगठनों में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अविभाजित बिहार में भी प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की थी।
60 सालों तक प्रचारक रहे
वे संघ के सह सरकार्यवाह सहित कई अहम जिम्मेदारी संभाल चुके थे। मदन दास राममंदिर आंदोलन के दौरान कई मुद्दों पर संघ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच समन्वयक के रूप में पुल बने रहे। बाद में भाजपा के सत्ता में आने पर भी उन्होंने संघ परिवार से वाजपेयी सरकार की विभिन्न मुद्दों पर बनी दूरी को पाटने में अहम भूमिका निभाई। उस समय वे भाजपा आर एस एस के बीच संपर्क का काम देखते थे। मदनदास छह दशकों तक संघ के प्रचारक रहे। इस दौरान कई जिम्मेदारियां निभाईं। कठोर अनुशासन उनके व्यक्तित्व की खास पहचान थी। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बावजूद संघ कार्य को महत्व दिया।
प्रधानमंत्री ने अपूरणीय क्षति बताया
बता दें कि मदन दास देवी का सोमवार की सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उन्होंने बेंगलुरू के राष्ट्रोत्थान अस्पताल में अंतिम श्वास ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने देवी जी से बहुत कुछ सीखा था।