सरकार से पूछा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी क्यों नहीं हटवा रहे नेम प्लेट और पदनाम के बोर्ड
रांची संवाददाता: नेम प्लेट और पदनाम लगी गाड़ियों पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद में शुक्रवार को गजाला परवीन कि लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद भी सरकारी और गैर सरकारी गाड़ियों में नेम प्लेट और पदनाम का बोर्ड लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने कहा कि सरकार वीआईपी कल्चर को बढ़ावा दे रही है.
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी वाहन में किसी भी पदनाम और नाम का प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में नेता, अफसर से लेकर गांव में मुखिया तक और दूसरे सभी सरकारी व गैर सरकारी लोग धड़ल्ले से गाड़ियों में बोर्ड लगाकर घूम रहे हैं लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है.
परिवहन सचिव की दलील से कोर्ट हुआ नाराज
कोर्ट के निर्देश पर आज सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव ऑनलाइन हाजिर हुए थे .कोर्ट ने सचिव से पूछा कि आखिर वाहनों से बोर्ड क्यों नहीं हटाए जा रहे हैं। सचिव ने अदालत को बताया कि कोई नियमावली नहीं बनी है, इसलिए बोर्ड नहीं हटाया जा रहा है।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब लाल, पीली बत्ती हटाने का निर्देश दिया तो उसे मान लिया गया मगर नेम प्लेट और पदनाम के बोर्ड हटाने के बारे में नियमावली का बहाना बनाया जा रहा है .
6 सप्ताह में नियमावली
इस पर सचिव ने कहा कि छह सप्ताह में नियमावली बना ली जाएगी।
इस पर कोर्ट ने सचिव को नियमावली तैयार कर कार्रवाई करने और उसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया.
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