साहित्य संसार

पेट सफा तो हर रोग दफा, रेल अधिकारी दिलीप कुमार का कॉलम

अप्प दीपो भव-4

– दिलीप कुमार
(लेखक, कवि, मोटिवेशनल स्पीकर और भारतीय रेल सेवा के वरिष्ठ अधिकारी)

जागने के बाद शौच क्रिया के लिए जाना प्रातः कालीन नित्य कर्मों में शामिल है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो शौच के लिए हम किसी भी समय को चुन सकते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से विश्व की सभी संस्कृतियों में शौच के लिए सुबह के समय को चुना गया है। कई मायनों में यह बेहतर है। इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। दिन में कई बार हम भोजन करते हुए कैलोरी संग्रह कर रहे होते हैं, रात्रि विश्राम के समय संग्रह की प्रक्रिया रुक जाती है और हमारा शरीर संचित निधि का प्रयोग करने लगता है। शरीर भोजन के जितने हिस्से को अवशोषित कर पाता है, उसके बाद बचा हिस्सा विष्ठा के रूप में बड़ी आंत में जमा होता है जिसे शरीर से बाहर भेजना जरूरी होता है। किसी भी स्वस्थ प्रणाली में कचरे का संग्रहण अच्छा नहीं माना जाता। नियमबद्ध तरीके से कचरे का निष्पादन आवश्यक है। हमारा शरीर तो अति विशिष्ट श्रेणी में आता है। इसलिए रोज पाचन तंत्र प्रणाली से शरीर में जो अवांछित अवशेष जमा रह जाता है, उसकी सफाई आवश्यक है।

हम में से कई लोग सुबह-सुबह इस कचरे को साफ करने में परेशानी महसूस करते हैं। खानपान की गलत आदतों और आवश्यकता से ज्यादा आराम की तलब ने हमारे पाचन तंत्र को कमजोर किया है। आवश्यकता से अधिक तेल-घी, मैदा जैसी खाद्य सामग्रियों का उपयोग शरीर की कचरा निष्पादन प्रणाली की कमजोरी का कारण है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में रेशेदार सब्जियों और फलों के अधिक से अधिक उपयोग की वकालत की गई है। आंग्ल चिकित्सक भी फल और सलाद अधिक मात्रा में खाने की सलाह देते हैं। परंपरागत रूप से तीज-त्योहार के अवसर पर बनने वाले पकवानों में तेल,घी और चीनी का ज्यादा उपयोग होता रहा है, लेकिन तीज त्योहार कभी-कभी आते हैं। मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति में हो रहे सुधार ने किचन की सेहत को बढ़िया किया है, जिसका स्वागत होना चाहिए। समृद्धि में आत्मसंयम आवश्यक है। घर में खाने-पीने की चीजों की कमी नहीं है, यह अच्छी बात है। लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि पुआ-पूरी और केक-पिज्जा जैसे पकवान रोज खाए जाएं। पाश्चात्य जीवन शैली के प्रभाव के कारण हमारे भोजन में जंक फूड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। इसका असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ रहा है। कंप्यूटर, मोबाइल और टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अधिक समय देने के कारण हमारी शारीरिक सक्रियता में भी कमी आई है। भारी खाद्य पदार्थों को पचाने के लिए भारी कार्य भी करने होते हैं। यह नहीं हो सकता कि आप खूब खाएं और आराम करते चले जाएं। यदि ऐसा करते हैं तो मोटापा और कब्जियत जैसी समस्याएं हमारे शरीर को घेर लेती हैं। डॉक्टरों ने मोटापा और कब्जियत को अनेक बड़ी बीमारियों का जनक माना है। मोटापा और कब्जियत के कारण हृदय रोग और गैस जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि सुबह-सुबह ही हम अपने पेट का कचरा अच्छी तरीके से साफ कर लें। यह कार्य प्राकृतिक तरीके से हो तो सबसे अच्छा है। परेशानी हो रही हो तो आत्ममंथन करें और अपने खानपान एवं जीवन शैली में सुधार करें। जरूरत पड़ने पर आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली और एनीमा की मदद भी ली जा सकती है। ‘पेट सफा तो हर रोग दफा’ पुरानी कहावत है। इसे जरूर से जरूर याद रखना चाहिए।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

Recent Posts

पीएमओ का नाम बदला,‘सेवा तीर्थ’कहलाएगा

Bharat varta Desk प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल गया है. अब इसे ‘सेवा तीर्थ’ के… Read More

15 hours ago

नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल : पटना में झलकी भारत की सांस्कृतिक-बौद्धिक विरासत

पटना, भारत वार्ता संवाददाता : बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर साहित्य, संस्कृति और… Read More

1 day ago

प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे

Bharat varta Desk गया के विधायक प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे। ‌… Read More

2 days ago

बिहार में पांच आईएएस अधिकारी बदले, मिहिर कुमार सिंह होंगे नए विकास आयुक्त

Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश… Read More

2 days ago

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका: पीके मिश्रा

-रायबरेली रेल कोच कारखाना के जीएम ने पूर्व रेलवे के इतिहास की दी महत्वपूर्ण जानकारी-हावड़ा… Read More

4 days ago

30 नवंबर 2025 को पटना में ज्ञान और साहित्य का महोत्सव – नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल

पटना। बिहार की ऐतिहासिक और साहित्यिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य… Read More

5 days ago