Bharat varta desk:
राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हाल में सोमवार को आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले 141 लोगों को वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों से नवाजा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई राजनीतिक हस्ती मौजूद थे। मंगलवार को भी राष्ट्रपति 2021 के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से नवाजेंगे।
आज इनको मिला पद्म विभूषण
2020 के लिए आज पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने वालों में सार्वजनिक मामलों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री बिहार के जार्ज फर्नाडीज (मरणोपरांत) दिल्ली के अरुण जेटली और सुषमा स्वराज (दोनों को मरणोपरांत), मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ (मरणोपरांत), कला के लिए उत्तर प्रदेश के पंडित छन्नूलाल मिश्र, खेल के लिए मणिपुर की मैरी काम और अध्यात्म के लिए कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी (मरणोपरांत) शामिल हैं।
मनोहर पारिकर समेत इनको मिला पद्म भूषण
2020 के लिए पद्म भूषण से सम्मानित होने वालों में जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फर हुसैन बेग (सार्वजनिक मामले),उत्तराखंड के अनिल प्रकाश जोशी (सामाजिक कार्य), गुजरात के बालकृष्ण दोषी (आर्किटेक्चर), महाराष्ट्र के आनंद म¨हद्रा (व्यापार एवं उद्योग), तेलंगाना की पीवी संधू (खेल), गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर (मरणोपरांत-सार्वजनिक मामले) और अमेरिका के जगदीश सेठ (साहित्य एवं शिक्षा) शामिल हैं।
खेल जगत से बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधू और रानी रामपाल को पद्मश्री दिया गया है।कंगना रनोट
को भी पद्मश्री प्रदान किया गया है। पाली बाद बांग्लादेश के दो शख्सियत को भी यह सब मन दिया गया है।
बिहार के इन लोगों को मिला पद्मश्री
बिहार से मुजोय के गुहा (विज्ञान एवं इंजीनियरिंग) बिमल कुमार जैन (सामाजिक कार्य), शांति जैन (कला), डा. शांति राय (चिकित्सा), श्याम सुंदर शर्मा (कला) और वशिष्ठ नारायण सिंह (मरणोपरांत-विज्ञान एवं इंजीनियरिंग)
झारखंड के दो शख्सियत को पद्मश्री दिया गया
इनमें रांची निवासी और नागपुरी गीतकार, झारखंड आंदोलनकारी मधु मंसूरी हंसमुख के अलावा सरायकेला खरसावां निवासी छऊ गुरु शशिधर आचार्य को पद्मश्री दिया गया है। जल, जंगल, जमीन और ग्राम्य तथा आदिवासी जीवन से जुड़े गीतों के जरिये उन्होंने अपनी पहचान बनायी है।जल, जंगल, जमीन और ग्राम्य तथा आदिवासी जीवन से जुड़े गीतों के जरिये उन्होंने अपनी पहचान बनायी है।
शशिधर आचार्य सरायकेला खरसावां के निवासी हैं। छऊ नृत्य को नये मुकाम तक ले जाने में उनका अहम योगदान रहा है।
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