सोशल मीडिया का दौर है, पूर्वाग्रह दूर रखिए…’, ‘पाकिस्तान’ टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने जज की खूब लगाई क्लास
Bharat varta desk
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के जज जस्टिस वी श्रीशानंद के विवादित बयान पर स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्यवाही को आज खत्म कर दिया। इस दौरान शीर्ष अदालत ने विवादित टिप्पणियों के लिए हाई कोर्ट जज को जमकर सुनाया।सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान की तरह नहीं बता सकते। साथ ही अदालतों को सतर्क रहना चाहिए कि न्यायिक प्रक्रियाओं के दौरान ऐसी टिप्पणियां न की जाए, जिन्हें स्त्रीद्वेषी या समाज के किसी भी वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त माना जाए।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद ने अपने बयान पर खेद जताते हुए माफी भी मांग ली थी। हाईकोर्ट के जज के माफी मांगने को पर्याप्त मानकर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद कर दिया । दरअसल 20 सितंबर को हाईकोर्ट के जज ने एक महिला वकील पर असंवेदनशील टिप्पणी की थी और 21 सितंबर को माफी मांग ली थी।
सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट के जज का बयान हुआ था वायरल
महिला वकील पर की गई अशोभनीय टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद ने पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कह दिया था। हाईकोर्ट के यूट्यूब चैनल पर कोर्ट की सुनवाई का लाइव प्रसारण होता है इसलिए जज की ये दोनो टिप्पणियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वायरल होने के बाद उसी दिन यानी 20 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से जवाब मांग लिया था।
लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान सावधान रहें जज- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद की माफी को तो स्वीकार कर लिया लेकिन देश के सभी जजों को एक नसीहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में अपनी टिप्पणियों को लेकर बहुत सजग रहने की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में अब लोगों का कोर्टरूम में मौजूद रहना जरूरी नहीं है, लेकिन बाहर लोगों की इसपर नजर रहती है। और इसका लोगों पर व्यापक असर होता है। इसलिए खासतौर पर जजों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वो कोई ऐसी बात ना करें जिससे लोगों को उनका पूर्वाग्रह नजर आए । जजों को सिर्फ सुनवाई के दौरान कानून और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसले देना चाहिए।