राज्य विशेष

सिविल डिफेंस बिहार के डीजीपी अरविन्द पाण्डेय का फेसबुक संदेश – झूठे मुकदमें से कैसे बचें

पटना से ऋषिकेश नारायण.
सिविल डिफेंस, बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरविन्द पाण्डेय ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से जन-जागरुकता हेतु एक सन्देश लिखा है कि झूठे मुकदमे से कैसे बचें. अरविन्द पाण्डेय बिहार में सृजनात्मक सृजनात्मक एवं कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए जाने जाते हैं. वे फेसबुक व सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से भी निरंतर जन-जागरूकता फैलाते रहते हैं.
झूठे मुकदमे से बचने हेतु फेसबुक संदेश में अरविन्द पाण्डेय ने लिखा है कि अनेक लोगों ने मुझसे ये पूछा है कि जब कोई किसी के ऊपर झूठा मुकदमा करा दे तो उससे कैसे बचा जाय ?
इस सम्बन्ध में यह सभी जानते हैं कि पुलिस, ९९% मामलों में स्वयं मुकदमा दर्ज नहीं करती..थाना में मुकदमा दर्ज होने के लिए एक शिकायतकर्ता आवश्यक होता है जो थाना में लिखकर देता है कि अमुक अमुक व्यक्ति ने ये अपराध किया है..
अब जिन व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध का आरोप होता है वे अभियुक्त बन जाते हैं. किन्तु आप यह जान लें कि पुलिस अनुसंधान की प्रक्रिया में पहले मुकदमा दर्ज होता है फिर उसका पर्यवेक्षण पुलिस उपाधीक्षक द्वारा किया जाता है .
जब पर्यवेक्षण में उपाधीक्षक, अभियुक्तों के विरुद्ध साक्ष्य होने की पुष्टि करते हैं तब वे अपनी पर्यवेक्षण टिप्पणी जिले के पुलिस अधीक्षक के समक्ष भेजते हैं.
अब जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा उपाधीक्षक की पर्यवेक्षण टिप्पणी की समीक्षा की जाती है और यदि वे सहमत होते हैं तब अभियुक्तों के विरुद्ध गिरफ्तारी का आदेश देते हैं.
अर्थात किसी मुकदमें में गिरफ्तारी के लिए उपाधीक्षक और पुलिस अधीक्षक की सहमति भी आवश्यक होती है, केवल थानाध्यक्ष या अन्वेषक ही निर्अणय लेने के लिए अधिकृत नहीं होते.
इसलिए जब भी किसी व्यक्ति को लगे कि उसके विरुद्ध झूठा मुकदमा किया गया है तब उसे तुरंत अपनी निर्दोषिता साबित करते हुए एक आवेदन मुकदमें के
१. अनुसंधानकर्ता,
२.थानाध्यक्ष,
३. उस क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक और
४. जिला पुलिस अधीक्षक को तुरंत देना चाहिए..
आजकल सभी के पास whatsapp और ईमेल की भी सुविधा है…आप इन माध्यमों से प्रतिदिन कई बार अपना आवेदन भेज सकते हैं… यदि चाहें तो सभी वरीय पुलिस अधिकारियों को यह आवेदन दे सकते हैं.. यह भी ध्यान रहे कि ऐसे मामलों में दूसरों से पैरवी नहीं कराएं अन्यथा अधिकारियों को आपकी निर्दोषिता पर संदेह हो सकता है.
यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि कोई भी व्यक्ति बिना कारण झूठा मुकदमा भी किसी के विरुद्ध नहीं करता..कोई न कोई कारण अवश्य होता ….इसलिए, झूठे मुकदमें से पीड़ित व्यक्ति को उस कारण का पता कर उसका भी समाधान करना चाहिए.

डॉ सुरेंद्र

Recent Posts

नेपाल में आम चुनाव 5 मार्च को, सुशीला कार्की के प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति कार्यालय का ऐलान

Bharat varta Desk नेपाल में सुशीला कार्की के अंतरिम पीएम बनने के बाद शुक्रवार देर… Read More

1 day ago

लग्जरी गाड़ियां, 32 किलो सोने-चांदी के बिस्किट, 1 किलो गहने… कर्नाटक MLA के घर ईडी छापे में काले धन की ढेर बरामद

Bharat varta Desk कर्नाटक के चित्रदुर्ग से कांग्रेस विधायक केसी. वीरेंद्र की मुश्किलें लगातार बढ़ती… Read More

5 days ago

सीपी राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति

Bharat varta Desk NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में बड़ी… Read More

5 days ago

नेपाल के राष्ट्रपति ने भी दिया इस्तीफा

Bharat varta Desk नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी अपने… Read More

5 days ago

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा, संसद पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा

Bharat varta Desk नेपाल को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया… Read More

5 days ago

उपराष्ट्रपति के लिए मतदान, अमित शाह और राहुल गांधी ने गिराए वोट

Bharat varta Desk उपराष्ट्रपति पद के लिए दिल्ली में वोटिंग जारी है। देश के गृह… Read More

5 days ago