इतिहास

शैक्षणिक, रानीतिक औऱ सुरों का त्रिवेणी है सुपौल…

सुपौल से राजीव झा की रिपोर्ट

Bharat varta desk: अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सुपौल भले ही कोसी से अभिशप्त रहा। लेकिन शैक्षणिक, रानीतिक औऱ सुरों का त्रिवेणी में सुपौल का कोई सानी नहीं। शिक्षा जहां यहां के लोगों के कण कण में बसा हुआ है। वही राजनीति राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर इसे विरासत में मिली। सुरों की बात करें तो कोसी की हुंकार ने समय समय पर कई विभूति को जन्म दिया।

शिक्षा: सुपौल जिले में एक कहावत सदियों से चली आ रही है। लक्ष्मी यहां धूल में लेटी सरस्वती घर-घर की बेटी। इस कहावत को सही चरितार्थ कर दिखाया इस माटी के बेटे ने। बलुआ परिवार जिसे राजनीति का धुर्व कहा जाता है, इसी परिवार से निकाला स्व. जगन्नाथ मिश्र के बड़े पुत्र डॉ. संजीव मिश्रा। डॉ. संजीव मिश्रा जापान में अध्यापक से आज एनएसजी व सीआरपीएफ के वितीय सलाहकार हैं। डॉ. संजीव कभी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा। यही कारण है कि एक राजनेता परिवार में पले बढ़े डॉ. मिश्रा वर्तमानकालिक आर्थिक मुद्दों पर कई किताब भी लिख चुके हैं। वहीं बभनी गांव के इंजीनियर की नोकरी छोड़ आईपीएस बने आर.के.मिश्रा ने अपनी सेवा के दौरान 17 पदक जीत जिले का मान बढ़ाया। श्री मिश्रा केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान आईटीबीपी के एडीजी व बाद में बिहार में होमगार्ड व अग्निशमन के डीजी बने। श्री मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान नक्सलियों से एक किसान को मुक्त कराकर काफी चर्चा में रहे थे। वही विधापुरी निवासी जो वर्तमान में रॉयल फ्री हॉस्पिटल लंदन के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ.विभाष मिश्रा कभी वीरपुर में लोगों की सेवा करते थे। आज लंदन में डॉ. मिश्रा की पत्नी डॉ. नूतन मिश्रा स्टोक मैडिविल हॉस्पिटल एल्सबरी यूके के स्टोक गायनेकोलॉजिस्ट है। वहीं चांदपीपर गांव के आईपीएस संतोष जो शिवहर में पदस्थापित है ने यह साबित कर दिया कि गांव व शहर पढने वालो के लिए कोई मायने नहीं रखता।

राजनीति: कोसी के कछार पर बसा सुपौल जिला को मानो राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति विरासत में मिली। राजनेताओं की बात शुरू होती है तो भला बलुआ गांव के स्व. ललित नारायण मिश्रा को कौन भूल सकता है। वह पिछड़े बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मिथिलांचल की राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए पूरी तन्मयता से प्रयास किया। विदेश व्यापार मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ नियंत्रण एवं कोशी योजना में पश्चिमी नहर के निर्माण के लिए नेपाल-भारत समझौता कराया। उन्होंने मिथिला चित्रकला को देश-विदेश में प्रचारित कर उसकी अलग पहचान बनाई। मिथिलांचल के विकास की कड़ी में ही ललित बाबू ने लखनऊ से असम तक लेटरल रोड की मंजूरी कराई थी, जो मुजफ्फरपुर और दरभंगा होते हुए फारबिसगंज तक की दूरी के लिए स्वीकृत हुई थी। रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में झंझारपुर-लौकहा रेललाइन, भपटियाही से फारबिसगंज रेललाइन जैसी 36 रेल योजनाओं के सर्वेक्षण की स्वीकृति उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता तथा विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है। वही उनके छोटे भाई डॉ. जगन्नाथ मिश्र बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मिथिलांचल को कई उपहार दिया। इसके बाद बिजेंद्र प्रसाद यादव ने अपनी कार्यकुशलता के बल पर न सिर्फ अपने मंत्रालय के बल्कि कई अन्य कार्य कर पिछड़े सुपौल को एक नया पहचान दिलाया। इनके बाद सैयद शाहनवाज हुसैन जो अटल मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के मंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद आरा के सांसद व बसबिट्टी गांव के बेटा आर. के. सिंह को भला कौन भूल सकता है। सांसद बनने से पहले केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने सुपौल में देश का चौथा एसएसबी प्रशिक्षण कैंप खोल सुपौल को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने में अहम योगदान रहा।

संगीत : मिथिलांचल के गांव गांव में गाए जाने वाले गीतों में राग द्वेष की छाप इस इलाके में मिल जाएगी। राग द्वेष अर्थात बारह स्वरों का संगम सात शुद्ध चार कोमल और एक तीव्र। अगर काशी में समता प्रसाद उर्फ गुदई महाराज का तबला किसी भी नृत्यांगना को सिर झुकाने कर सकता था तो कोसी के पंडित रघु झा के गाए गीत उस तबला वादक को आरोहन अवरोहण पर सिद्धस्थ होने के लिए प्रतिबद्ध करता था। वहीं शारदा सिन्हा को भला कौन भूल सकता है। शादी हो या मुंडन शारदा की गीत अगर स्पीकर पर नहीं बजा तो मजा अधूरा। वही निर्मली गांव से तालुकात रखने पापा कहते हैं बेटा नाम करेगा वाले उदित नारायण को भला कौन भूल सकता है। इन विभूतियों के अलावा कर्णपुर गांव के अंकेश जो मिक्सटेप रॉकबैंड में धूम मचा चूंके है, त्रिवेणीगंज अनुमंडल के हनुमानगढ़ी गांव की सोनी ने सितारवादन में जो मान बढ़ाया उसे जिलावासी भला कैसे भूल सकते हैं।

Kumar Gaurav

Share
Published by
Kumar Gaurav

Recent Posts

पीएमओ का नाम बदला,‘सेवा तीर्थ’कहलाएगा

Bharat varta Desk प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल गया है. अब इसे ‘सेवा तीर्थ’ के… Read More

20 hours ago

नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल : पटना में झलकी भारत की सांस्कृतिक-बौद्धिक विरासत

पटना, भारत वार्ता संवाददाता : बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर साहित्य, संस्कृति और… Read More

2 days ago

प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे

Bharat varta Desk गया के विधायक प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे। ‌… Read More

2 days ago

बिहार में पांच आईएएस अधिकारी बदले, मिहिर कुमार सिंह होंगे नए विकास आयुक्त

Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश… Read More

3 days ago

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका: पीके मिश्रा

-रायबरेली रेल कोच कारखाना के जीएम ने पूर्व रेलवे के इतिहास की दी महत्वपूर्ण जानकारी-हावड़ा… Read More

4 days ago

30 नवंबर 2025 को पटना में ज्ञान और साहित्य का महोत्सव – नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल

पटना। बिहार की ऐतिहासिक और साहित्यिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य… Read More

5 days ago