
Bharat varta desk:
कल दिल्ली में केंद्रीय सचिवों के साथ हुई प्रधानमंत्री की मैराथन बैठक में कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों की ओर से घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता व्यक्त की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के दौरान अधिकारियों ने दावा किया कि ये योजनाएं आर्थिक रूप से सतत नहीं हैं और राज्यों को उसी राह पर ले जा सकती हैं, जिस पर श्रीलंका है।
इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए थे। इस दौरान कई केंद्र सचिवों ने प्रधानमंत्री को इस संबंध में अपने फीडबैक दिए और अनुभव से अवगत कराया। सचिवों ने एक राज्य में पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में घोषित की गई एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो वित्तीय रूप सेण खराब स्थिति में है। इसके अलावा अन्य राज्यों में ऐसी ही अन्य योजनाओं का उल्लेख करते हुए सचिवों ने कहा कि ये आर्थिक रूप से सतत नहीं हैं और बहुत कमजोर हैं और ये राज्यों को उसी रास्ते की ओर ले जा सकती हैं जिस पर श्रीलंका चल रहा है। सब कुछ सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने आईएएस अफसरों को नसीहत देते हुए कहा कि प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के लिए लिए गरीबी का बहाना बनाने की पुरानी कहानी सुनाना बंद करें और बड़ा दृष्टिकोण अपनाते हुए अपना कर्तव्य निभाएं।
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