Bharat varta desk: भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड (Tomb Of Sand Novel) को प्रसिद्ध इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है। यह उपन्यास हिंदी में रेत की समाधि के नाम से छपा था जिसे अमेरिकन ट्रांस्लेटर डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया और इसका नाम टॉम्ब ऑफ सैंड रखा। यह दुनिया की उन 13 किताबों में शामिल हो गई है जिन्हें इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब है। गुरुवार को लंदन में गीतांजलि श्री को इस किताब के लिए 5000 पाउंड की इनाम राशि मिली। इस राशि को वे अंग्रेजी में अनुवाद करने वाली डेजी रॉकवेल के साथ शेयर करेंगी।
इस उपन्यास में 80 साल की बुजुर्ग विधवा की कहानी है, जो 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद अपने पति को खो देती है। इसके बाद वह गहरे अवसाद में चली जाती है। काफी जद्दोजहद के बाद वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान पीछे छूटे अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है। यह किताब राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है।
कौन हैं गीतांजलि श्री
64 साल की गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखती हैं। वे दिल्ली में रहती हैं। गीताश्री की हिंदी में अन्य रचनाएं- ‘माई’, ‘हमारा शहर उस बरस’ और ‘तिरोहित’ है। उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है। दिल्ली में रहने वाली 64 वर्षीय लेखिका श्री की अनुवादक डेजी रॉकवेल एक पेंटर एवं लेखिका हैं जो अमेरिका में रहती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया है।
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