दिलीप निराला, क्षेत्रीय विचार विभाग प्रमुख, स्वदेशी जागरण मंच (बिहार, झारखंड)
भागलपुर: भारतवर्ष के मुक्तिदाता, स्वातन्त्र्य समर के अप्रतिम योद्धा नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भागलपुर की पवित्र भूमि से भावनात्मक लगाव के साथ पारिवारिक सम्बन्ध भी रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के रास्ते पर महात्मा गांधी से हुए 1939 में मतभेद तथा कांग्रेस छोड़ने के उपरांत अपने अखिल भारतीय प्रवास के क्रम में नेताजी सुभाषचंद्र बोस जनवरी 1940 में भागलपुर आये थे.
भाई का ससुराल, लाजपत पार्क में भाषण: अपने भाई सुरेशचंद्र बोस के खरमनचक स्थित ढेबर गेट के सामने प्रभाष मंदिर स्थित ससुराल में ठहरे थे. अपने भागलपुर प्रवास में नेताजी ने लाजपत पार्क में अपनी जोशीली वाणी से युवाओं में राष्ट्र प्रेम की शिक्षा प्रदान करते हुए यहां के युवाओं से भी तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का वचन लिया था. उनके भाषण से प्रभावित हो कर भागलपुर के असंख्य युवा स्वातन्त्र्य समर कूद पड़े थे. लाजपत पार्क में उनकी मूर्ति लगाई गई है.
नाथनगर के आनंद मोहन सहाय आजाद हिंद फौज के सेक्रेटरी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाथनगर से गहरा लगाव रहा था. नेताजी द्वारा स्थापित आजाद हिंद फौज की महिला रेजिमेंट रानी झांसी रेजिमेंट में नाथनगर के पुरानी सराय की निवासी आशा चौधरी शामिल हुई थी. आशा चौधरी के पिता आनन्द मोहन सहाय आजाद हिंद फौज के सेक्रेटरी जनरल थे. आशा चौधरी की माता सती सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रसिद्ध वकील चितरंजन दास की भांजी थी. आज पूरा भागलपुर नेताजी को उनके जन्म जयंती पराक्रम दिवस के अवसर पर उनको याद कर रहा है. भागलपुर की ओर से शत् शत् नमन.
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