भागलपुर कलेक्ट्रेट में नौकरी करते थे राजा राममोहन राय, कलेक्टर से हुआ था विवाद (27 सितंबर, पुण्यतिथि पर विशेष)
मुकेश कुमार
आज राजा राममोहन राय की पुण्यतिथि है। राजा राममोहन राय की गणना भारत के महान समाज सुधारकों में होती है।
बिहार के भागलपुर से उनका गहरा संबंध था। वे यहां कलेक्ट्रेट में नौकरी करते थे। इस दौरान भागलपुर के कलेक्टर से हुआ उनका विवाद इतिहास के महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
घटना 1808-1809 के बीच की है। एक दिन राजा राम मोहन राय पालकी पर सवार होकर गंगाघाट से भागलपुर शहर की ओर जा रहे थे। ठीक इसी समय घोड़े पर सवार सैर के लिए निकले कलेक्टर फ्रेडरिक हैमिल्टन सामने आ गए। पालकी में परदों के कारण राममोहन उनको देख नहीं पाए और कलेक्टर के सामने से पालकी गुजर गई। अंग्रेज कलेक्टर को यह बात नागवार लगी कि उसके अधीन काम करने वाला उसके सामने से बिना उसका अभिवादन किए कैसे निकल गया।
उन दिनों किसी भी भारतीय को किसी अंग्रेज अधिकारी के आगे घोड़े या वाहन पर सवार होकर गुजरने की इजाजत नहीं थी और आमना-सामना होने पर उतरकर अभिवादन करना अनिवार्य था। कलेक्टर उनकी पालकी रुकवा दी। राजा राममोहन राय ने विनम्रता से अपनी बात रखी मगर जब उन्होंने देखा कि कलेक्टर पर कोई असर नहीं है तो वह पालकी पर बैठकर आगे निकल गए।
कलेक्टर के विरोध में गवर्नर को लिखी चिट्ठी
इसके बाद राममोहन ने 12 अप्रैल, 1809 को गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो को चिट्ठी लिखी और और कलेक्टर के बारे में शिकायत की। गवर्नर जनरल ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया कलेक्टर ने इस शिकायत को झूठा करार दिया तो मामले की जांच हुई. जिसके बाद लॉर्ड मिंटो ने कलक्टर को फटकारते हुए आगाह किया कि भविष्य में इस तरह के विवाद सामने नहीं आने चाहिए।
एक नजर में राजा राममोहन राय
जन्म 22 मई 1772, हुगली के बंगाली हिंदू परिवार
मुगल शासक बादशाह अकबर द्वितीय (1806-1837) ने उन्हें राजा की उपाधि दी
1815 में कोलकाता में आत्मीय सभा की स्थापना की
1828 में द्वारिकानाथ टैगोर के साथ मिलकर ब्रह्म समाज की स्थापना की
1818 से शुरू हुआ सती प्रथा का विरोध, लॉर्ड बैंटिक से अवैध घोषित कराया
1833 में 27 सिंतबर को निधन