रांची: भाई-बहन के प्यार का पर्व भैया दूज बिहार-झारखंड में धूमधाम से मनाया गया. बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए या पर्व मनाती हैं. इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं. कहा जाता है कि इससे भाई यमराज के प्रकोप से बचे रहते हैं. दीपावली के दो दिन बाद अर्थात् कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाए जाने वाले इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ व ‘भ्रातृ द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है. बहुत से भाई-दिन सौभाग्य तथा आयुष्य की प्राप्ति के लिए इस दिन गंगा अथवा अन्य पवित्र नदियों में साथ-साथ स्नान भी करते हैं. इस पर्व को लेकर एक पौराणिक कहानी है. मृत्यु के देवता यमराज और मां यमुना आपस में भाई बहन हैं. यमुना ने ना जाने कितनी बार अपने भाई यम को अपने घर आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन यम काम के चलते उनसे मिलने नहीं जा पाते थे. कई सालों के बाद आखिरकार यम बहन यमुना से मिलने पहुंचे थे, और जिस दिन वो यमुना से मिलने गए उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि थी. भाई यम के आने से यमुना बहुत प्रसन्न की. उन्होंने खुश होकर भाई की जमकर आवभगत की. पकवान बनाए और पूरे आदर सम्मान के साथ भोजन कराया. इसस खुश होकर भाई यम ने बहन को एक वरदान दे दिया था. तब बहन यमुना ने अपने भाई यम से वरदान मांगा कि आप इस तिथि को हर वर्ष इसी तरह मेरे घर आएं. और जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर आदर सत्कार से भोजन करें और टीका करवाएं उसे आपका यानि यम का भय न रहे. इसीलिए हर साल भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. वहीं चूंकि इस दिन यम खुद अपनी बहन के घर आए थे इसीलिए इस पर्व पर भाई के ही बहन के घर आने की परंपरा है.
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