पारिजात व डॉ रविशंकर की किताब ‘तवारीख़ के पन्नों से’ का लोकार्पण

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Bharat varta desk:

आज के दौर में जब इतिहास लेखन के कार्य में गहराई से विशेष कवायद हो रही, इस दिशा में क्षेत्रीय इतिहास की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है जिसमें इतिहास की कई अजानी कड़ियां समाहित हैं। इस मानिंद भागलपुर के लेखक द्वय शिव शंकर सिंह पारिजात एवं डॉ रविशंकर कुमार चौधरी की पुस्तक ‘तवारीख़ के पन्नों से’, जिसमें भागलपुर, मुंगेर और संताल परगना के मुगलकालीन धरोहरों व स्मारकों का संकलन किया गया है, का योगदान महत्वपूर्ण साबित होगा।

उक्त बातें बिहार हेरिटेज सोसायटी के महानिदेशक (डीजी) डॉ अनन्त आशुतोष द्विवेदी ने पटना के सरदार पटेल भवन के ऑडिटोरियम में आयोजित तीन-दिवसीय सेकेंड एनुअल कॉन्फ्रेंस “ग्लोबल हेरिटेज कानक्लेव” के समापन के अवसर कही। “धरोहरोत्सव” के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में राज्य और देश के अग्रणी पुराविद्, इतिहासकार तथा विशेषज्ञों ने शिरकत किया जिसके उद्घाटन सत्र में श्री पारिजात व डॉ चौधरी की किताब ‘तवारीख़ के पन्नों से’ का लोकार्पण उपस्थित अतिथियों के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इन अतिथियों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के संयुक्त सचिव डॉ संजय कुमार मंजूल सहित नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अभय कुमार सिंह, बिहार पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो. रामेश्वर सिंह, आईसीपीआर, दिल्ली के मेंबर सेक्रेटरी डॉ सच्चिदानंद मिश्रा सहित अन्य कई विद्वान शामिल थे।

जाने माने पुराविद् एवं ग्लोबल हेरिटेज कॉन्क्लेव के आयोजक, बिहार हेरिटेज सोसायटी के डीजी डॉ अनन्त आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि भारत का इतिहास दिल्ली और आगरा सरीखे नगरों में ही केंद्रित नहीं है, वरन् दूरस्थ शहरों व कस्बों में भी इसकी महत्वपूर्ण कड़ियां बिखरी पड़ी हैं जिसपर शोध एवं अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पटना में तीन दिवसीय ‘धरोहरोत्सव’ के आयोजन के पीछे इस सोच का विशेष ध्यान रखा गया था।

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