NewsNLive नवरात्र विशेष: जब भी बिहार के अंगप्रदेश के पौराणिक दुर्गा मंदिरों की चर्चा होती है, तब आदिशक्ति, करूणामयी, जागृत, चार भुजाधारणी, महिषासुर मर्दनी शांति स्वरूपा बांका के जगतपुर की दुर्गा महारानी की गणना अग्रिम पंक्ति मे होती है जिसका इतिहास 350 साल से भी पुराना है। जगतपुर की दुर्गा महारानी के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। मां सबकी मुरादें पूरी करती हैं। यही कारण है कि यहां सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। किंतु नवरात्र के दिनों में यहां अपार संख्या में भक्त आते हैं।
गौरतलब है कि जगतपुर में मां दुर्गा की पूजा बांग्ला रीति से होती है। यहां के मूल निवासी अधिकांशत: बंगाल से आये थे। अतः उनकी कुल देवी की पूजन-पद्घति बांग्ला रही। भागलपुर के ऐतिहासिक चम्पानगर का महाशय परिवार, जिनके बारे में कहा जाता है कि काली कलकत्ते की और दुर्गा महाशय ड्योढ़ी की, के सदस्य राम चन्द्र घोष ने चम्पानगर में पंडित श्रीमंत जी की सहायता से वहां पूजन आरम्भ किया। जगतपुर में भी इसी तरह सर्वप्रथम पूजन की परम्परा प्रारंभ हुई। जगतपुर में सर्वप्रथम फूस से निर्मित मंदिर मे ‘जागो मां तुमी जागो’ का पूजन आरम्भ हुआ।
जगतपुर केदारनाथ सिंह के दादा रंगलाल सिंह की पत्नी ने 350 वर्ष पूर्व मंदिर के समीप जीवनदायनी पीपल के पेड़ का वृक्षारोपण किया। स्थानीय जानकर बताते हैं कि उस समय सीताराम चौधरी ब्राह्मण टोला में 300 बीघा जमीन के जोतदार थे। उन्होंने वहां पेयजल के लिऐ कुआं का निर्माण कराया।
जनश्रुति है कि मां दुर्गा जी ने वत्स गोत्र दरबारी लाल से पूजन प्राप्त करने हेतु सीताराम चौधरी के पुत्र बनवारी लाल चौघरी को 1905 में स्वपन दिया कि तुम मेरे मंदिर का पक्कीकरण कराओ। मां की आज्ञा पर चौधरी परिवार ने चूना, सुर्खी, ईंट और ब्रिटेन निर्मित लोहा के बीम पर आर्क देकर भव्य एवं सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। तत्पश्चात दरबारी लाल ने भी मां की ईच्छानुसार बंगला-पद्धति से मूर्ति पूजन किया। बनवारी लाल ने मां के विसर्जन हेतु (बांका रेलवे स्टेशन के समी ) साढ़े सात बीघा में पोखर का निर्माण करवाया।
इसके उपरांत दरबारी लाल ने भी अपनी उत्तर दिशा की जमीन पर मां की मूर्ति निकास का रास्ता बनवा दिया। ऐसी मान्यता है कि दु:खहारिणी और कष्टनिवारिणी चंडी स्वरूपा जगतपुर की मां दुर्गा जी यहां साक्षात रूप से 365 दिन विराजमान रहती हैं। बनवारी चौघरी के द्वितीय पुत्र शंकरलाल चौधरी ने बहुत दिनों तक उच्च स्वर में चंडी पाठ कर मां को श्रवण कराया। सम्प्रति उनका पुत्र नीलाम्बर चौधरी ये दायित्व निभा रहे हैं।
पुनः 13 अगस्त, 2020 को प्रीति पूर्वक केशव चन्द्र सिन्हा की अगुवाई मे अमृतस्य पुत्र शिवानन्द सिन्हा ने अपने सभी भाईयों, ग्रामीणों के सहयोग से अराघ्य देवी मॉ का नव मंदिर निर्माण व प्राणप्रतिष्ठा कराया.
यह जगतपुर की परम् कल्याणी मां दुर्गा की कृपा रही कि मंदिर निर्माण से लेकर पूजन-अर्चन के सारे कार्य ग्रामीणों व भक्तों के सहयोग से सम्पन्न होते हैं।
आज जगतपुर की दुर्गा महारानी शक्ति के साक्षात स्वरूप में यहां विद्यमान रहकर भक्तों का कल्याण करती हैं। दुर्गापूजा के अवसर पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है जहाँ न सिर्फ बांका जिला के, अपितु बिहार के अन्य जिलों व निकटवर्ती झारखंड से भी दर्शनार्थी आते हैं। मां सबकी झोली भरती ही हैं, विशेष रूप से निःसंतानों की गोद आवश्यक रूप से भरती हैं। नवरात्र में जगतपुर की दुर्गा महारानी का दर्शन मंगलकारी है।
Bharat varta Desk केंद्र सरकार ने शनिवार को पंजाब कैडर के 1989 बैच के आईपीएस… Read More
Bharat varta Desk पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। सबसे… Read More
Bharat varta Desk उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नैनीताल में तीन दिन के दौरे पर हैं। कुमाऊं… Read More
Bharat varta Desk प्सुल्तानगंज महेशी महा दलित टोला में कांग्रेस के सामाजिक न्याय जन चौपाल… Read More
Bharat varta Desk पटना हाईकोर्ट ने कई प्रिंसिपल जजों को बदल दिया है। कई जज… Read More
Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर राज्य… Read More