NewsNLive Desk : भाजपा का गढ़ माने जाने वाले बिहार की राजधानी पटना के हॉट सीट पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र में चुनावी चौसर बिछ चुका है। नए गठजोड़ व जातीय ध्रुवीकरण के बीच एनडीए व महागठबंधन अपने हिसाब से जीत का समीकरण फिट कर अपने अपने पहलवानों को मैदान में उतार दिया है। एनडीए ने अब तक 6 बार विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता व मंत्री नेता नंदकिशोर यादव पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। वहीं महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में गई है। कांग्रेस ने उम्मीदवार तय करने में जातीय गणित और केमेस्ट्री, दोनों का सहारा लिया है। कांग्रेस ने आज ही पार्टी के नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। क्योंकि पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा (कोइरी), कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बड़ी संख्या में है। पिछले चुनाव में महागठबंधन से राजद के कुशवाहा जाति के ही उम्मीदवार संतोष मेहता ने नन्द किशोर यादव को कड़ी टक्कर दिया था। जातीय ध्रुवीकरण होने की वजह से लगातार काफी वोटों से जितने वाले पुराने क्षत्रप नन्द किशोर कड़ी टक्कर में सिर्फ 3 हजार वोटों के अंतर से जीत पाए थे। इस बार महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में चला गया। कांग्रेस ने जातीय गणित और केमेस्ट्री के आधार पर ही क्षेत्र में “नन्दू” के नाम से जाने जाने वाले भाजपा के दिग्गज नन्द किशोर यादव के खिलाफ प्रवीण सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
प्रवीण कुशवाहा लम्बे समय से कांग्रेस में हैं। वे एआईसीसी के सदस्य भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे प्रवीण कुशवाहा पार्टी के सांगठनिक कार्यों में काफी सक्रिय दिखते हैं। इन्हें चुनाव प्रबंधन में माहिर माना जाता है। वे कांग्रेस कई बड़े नेताओं के चुनाव का प्रचार व प्रबंधन का भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। राहुल गांधी का इन्हें विश्वासपात्र भी माना जाता है। सम्भवतः इसी वजह से प्रवीण कुशवाहा को पार्टी नेताओं ने राजधानी पटना के हॉट सीट पटना साहिब से चुनाव लड़ने को मना लिया। क्योंकि, ऐसी चर्चा थी कि वे भागलपुर के नाथनगर या सुल्तानगंज या बांका के अमरपुर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। वे एक बार भागलपुर से चुनाव लड़ भी चुके हैं। अंतिम समय में कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के हस्तक्षेप से प्रवीण कुशवाहा को पटना साहिब से भाजपा के दिग्गज नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने को उतारा गया है।
पटना साहिब के चुनावी समर में इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के नंदकिशोर यादव सातवीं बार जीतते हैं या यहां पहली बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा बाजी मारते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का आधार वोट माने जाने वाली वैश्य समाज का वोट सबसे अधिक है। इसके बाद कुशवाहा (कोइरी) और कुर्मी का वोट। यादव और मुस्लिम मतदाता का वोट ही निर्णायक साबित होगा।
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