Bharat varta desk: संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के चीफ जस्टिस ने लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका पर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने भारत के राजनीतिक दलों पर तंज कसते हुए कहा कि भारत के राजनीतिक दलों में एक गलत धारणा बनी है कि न्यायपालिका को उनके कामों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र अंग है जो संविधान के प्रति जवाबदेह है ना कि किसी राजनीतिक दल और विचारधारा के प्रति।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आजादी के 75 साल का जश्न मना रहे हैं। हमारा गणतंत्र 72 साल का हो गया है मगर मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे देश में हर संस्थान संविधान द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है। उन्होंने आगे कहा कि सत्ता में मौजूद पार्टी का मानना है कि हर सरकारी काम न्यायिक समर्थन की हकदार है जबकि विपक्षी दल न्यायपालिका से अपने राजनीतिक पदों और कारणों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है।
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