
Bharat varta desk: प्रत्येक साल बाढ़ आना और गंगा एवम कोशी जैसी नदी के धार में सैकड़ो घरों का विलीन होना बिहार के लोगों के लिए त्रासदी है। इस त्रासदी से रोकने के लिए भागलपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ एवम जीवन जागृति सोसायटी के अध्यक्ष डॉ अजय सिंह ने आयरोनिक करटन मॉडल लाया है। घरों को कटने से बचाने के के लिए यह मॉडल सफल साबित हो रहा है। डॉ अजय ने बताया किइस पर लगातार तीन वर्षों से सोच रहा था क्योंकि पत्थर से किनारे बांधने वाला तरीका तो कुछ ठीक है लेकिन बालू भरे बोरे से कटाव रोकने की जो युक्ति आजतक चल रही है वह एकदम से कारगर नही है। करोड़ो रूपये हर साल कटाव रोकने में खर्च होता है लेकिन कटाव रोक भी नही पाता है । इसी क्रम में डॉ अजय सिंह ने इस बार पहले चोरहर में लोहे का पिंजड़ा मॉडल का प्रयोग किया वह भी अच्छा साबित हो रहा था लेकिन जटिल था तो उन्होंने इस बार कर्टन मॉडल तैयार किया।
क्या है मॉडल, कैसे आजमाया: यह लोहे के फ्रेम में लोहे के जाली लगाकर इस के सतह पर प्लास्टिक की चटाई लगाकर उसे एक पर्दा बना दिया और उसे रंगरा प्रखंड में कोसी किनारे स्थित बड़ी बैंसी में कोसी नदी के तेज जल प्रवाह से कटते किनारे में लगा दिया गया और उसे तार के सहारे खूंटे से बांध दिया।अब पानी उस चटाई से टकराती है और उसका धार खत्म हो जाता है अपना रुख दूसरे तरफ मोड़ लेता है। इस तरह से यह तेज बहाव वाले पानी एवम किनारे के मिट्टी के बीच एक पर्दा बन जाता है जिससे मिट्टी का कटाव रुक जाता है ।इसे अगस्त के आरंभ में लगाया था और आज 2माह में जहां लगाया गया है ग्रामीणों के मुताबिक एक इंच भी वहां मिट्टी नही कटा है ।यह काफी सस्ता है, बह जाने की संभावना नगण्य है, एक बार बनाने के बाद कई बार प्रयोग में ला सकते हैं। इसका भंडारण किया जा सकता है और रातों रात कटते घरों को कटने से बचाया सकता है। इसका नाम उन्होंने डॉ अजय आयरोनिक करटन मॉडल रखा है(DAICM) । डॉ सिंह ने आगे बताया कि ग्रामीणों ने कहा कि यह जाली आप नही लगाते तो जो मुख्य धार जो 500 मीटर पर था आज कटते कटते हमलोगों के घर से महज 8 फीट पर आ गया है। आज हमारे गांव के कई घर कट कर कोशी में विलीन हो जाते। सरकार ने हजारों बोरियां डाली लेकिन कुछ काम नही आया आज एक भी बोरी नजर नही दिखती है लेकिन इनका यह जाली 2माह बाद भी अपने जगह पर है और आज भी हमारे घरों की कटाव से बचाव कर रहा है, यह मेरे लिए अनमोल है। डॉ अजय सिंह ने ग्रामीणों को इस प्रयोग में सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया और डॉ सिंह ने जीवन जागृति सोसायटी के तरफ से सभी ग्रामीणों का आभार ब्यक्त किया।
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