Bharat Varta Desk: आज भ्रष्टाचार के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने जहां रेल घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खासम खास रहे पूर्व विधायक भोला यादव को गिरफ्तार कर लिया है वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की मुहिम को सुप्रीम कोर्ट ने और मजबूती दे दी है। कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ईडी को दिए गए सभी अधिकारों को जायज ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है।
कोर्ट के इस फैसले से भ्रष्टाचारियों में दहशत फैलेगा और ईडी की करवाई और प्रभावकारी होगी।
दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। कोर्ट ने यह भी कह दिया है कि ईसीआईआर की कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है। कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय की टीम के समक्ष दिया गया बयान ही काफी है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें ईडी की शक्तियों, गिरफ्तारी के अधिकार, गवाहों को समन व संपत्ति जब्त करने के तरीके और जमानत प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख समेत अन्य कई लोगों ने याचिका दायर की थी।
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