प्रधानमंत्री ने प्रभु राम से क्षमा मांगी
Bharat varta desk
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने संबोधन की शुरुआत ‘सियावर रामचंद्र की जय’ से की. उन्होंने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, राम मंदिर मिला है. गुलामी की मानसिकता को खत्म कर नए इतिहास का सृजन हुआ है. पीएम मोदी ने कहा कि जहां राम का काम होता है वहां पवनपुत्र हनुमान भी होते हैं. मैं उन्हें प्रणाम करता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना करता हूं, क्योंकि हमारी त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये काम नहीं कर पाए हैं, आज ये कमी पूरी हुई है. मुझे विश्वास है प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. उन्होंने कहा, वो वियोग तो केवल 14 सालों का था, इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है. हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है.
न्यायपालिका ने लाज रखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं. संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली. मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली. न्याय का पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय के जरिए ही बना.
उन्होंने कहा कि राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं. राम मंदिर के कार्यक्रम में पूरा विश्व जुड़ा हुआ है. राम के आदर्शों की आवश्यकता पूरे विश्व को है. ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है. ये भारत के दर्शन का मंदिर है. ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है. राम भारत की चेतना हैं, भारत का चिंतन हैं. राम नीति भी हैं. राम निरंतर हैं. राम विश्वास हैं.पीएम मोदी ने कहा कि हमें रामकाज से राष्ट्रकाज करने की जरूरत है. हमें अब झुकना नहीं है, बैठना नहीं है, अब हम रुकेंगे नहीं, हम विकास की ऊंचाई को प्राप्त करके रहेंगे. इसके साथ ही पीएम मोदी ने एक बार फिर ‘सियावर रामचंद्र की जय’ के नारे का उद्घोष करते हुए अपना भाषण समाप्त किया.