Bharat varta desk:
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) नेपाल के दौरे पर हैं। यहां राजधानी काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने बचपन के उस दिन को याद किया, जब उन्हें सजा दी गई थी। सीजेआई ने कहा कि जिस तरह से लोग बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, वह उन बच्चों के दिमाग पर लंबा असर डालता है। मुख्य न्यायाधीश ने यह यादकिया कि कैसे स्कूल में उनके हाथ पर डंडे मारे गएथे तब उन्होंने टीचरसे पीछे डंडे मारने का रिक्वेस्ट किया था। वह बहुत दिनों तक दर्द से परेशान रहे और घर में दिखा भी नहीं पाए। उनकी गलती सिर्फ यही थी कि वह सही साइज का सूई नहीं ले गए थे जो क्राफ्टके लिए जरूरी था। प्रधान न्यायाधीश ने यही कहा कि वह बचपन की घटनाको कभी नहीं भूल पाए। वह कोई किशोर अपराधी नहीं थे। बचपन की घटना बहुत दिनों तक मनमानस पर छाई रहती है।
प्रधान न्यायाधीश ने यह बातें किशोर न्याय विषय पर नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कहीं।CJI जस्टिस चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक असमानता, घरेलू हिंसा और गरीबी जैसे कारणों से ही बच्चे अक्सर अपराधी व्यवहार के लिए प्रेरित होते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पूरे भारत में बोर्स्टल स्कूलों की स्थापना एक ऐसा विकास है जो सुधारात्मक संस्थाएं थीं।
बच्चों को आवश्यक मार्गदर्शन के बिना ही छोड़ दिया जाता है. इससे वे नकारात्मक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत और नेपाल में बच्चों को पारिवारिक इकाई का हृदय माना जाता है. परिवार शिक्षा, सामाजिक और नैतिक मूल्यों के संवर्धन के साथ समुचित पालन-पोषण और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हैं. कानून के साथ संघर्ष में बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियां और मुद्दे हमारी राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं. यानी घुले मिले हैं. इसलिए किशोर न्याय की सुरक्षा के लिए समन्वित और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं.
जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम की स्थापना राज्य यानी सरकार पर डाला गया एक कर्तव्य है और पेरेंस पैट्रिया क्षेत्राधिकार राज्य पर तीन कर्तव्य डालता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि किशोर अपराध से संबन्धित मामलों से निपटते हुए उनको अनौपचारिक रूप से संभालना और यह देखना कि उनके भविष्य के लिए सबसे अच्छा क्या है। दूसरा दृष्टिकोण उनके प्रति दयालु और पुनर्वास की चिंता है. इस दृष्टिकोण का लक्ष्य है औपचारिक अदालती कार्यवाही के नकारात्मक प्रभाव से उनको बचाना।
Bharat varta Desk बिहार कैडर की 1989 बैच की आईएएस अधिकारी सुजाता चतुर्वेदी भारतीय संघ… Read More
Bharat varta Desk झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के निदेशक डॉ राजकुमार को… Read More
Bharat varta Desk मन की बात के 121वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश-दुनिया को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने… Read More
Bharat varta Desk पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन को बिहार के… Read More
Bharat varta Desk पहलगाम आतंकवादी हमले में पाकिस्तान और उसकी संलिप्तता का कथित तौर पर… Read More
Bharat varta Desk पीएम नरेंद्र मोदी ने पंचायती राज दिवस के मौके पर बिहार के… Read More