राज्य विशेष

एक कब्रिस्तान बना ले दिल में, शहर के सारे ख्वाब एक- एक कर मर रहे …

भागलपुर स्मार्ट सिटी पर शहरवासियों के नाम आरटीआई कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह का पत्र

भागलपुर संवादाता: स्मार्ट सिटी के मुद्दे पर भागलपुर नगर निगम की सियासत इन दिनों गर्म है. स्मार्ट सिटी कंपनी के लिए पार्षदों का एक वर्ग स्मार्ट सिटी में काम नहीं होने के लिए जिम्मेदार बताते हुए मेयर सीमा साह और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम में जुटे हैं. कुछ सांसद और विधायक पार्षदों के इस मुहिम को समर्थन दे रहे हैं . 4 साल से स्मार्ट सिटी होने का इंतजार कर रहे भागलपुर के लोगों के नाम आरटीआई कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह ने पत्र लिखा है . आप पढ़िए वे क्या लिखते हैं…..

एक कब्रिस्तान बना ले दिल में, शहर के सारे ख्वाब एक -एक कर मर रहे हैं। हमारे पास मुखौटे नहीं, मुद्रायें नहीं,अजनबी शब्दों का लिबास भी नहीं, एक साधारण आदमी हूँ , अपने शहर की पीड़ा, उत्तेजना, दबाव, अभाव और उसके संबंधों के उलझनों को जीता और व्यक्त करता रहता हूँ। आम नागरिकों के नाम एक पत्र लिख रहा हूँ।


क्यों किच किच में उलझा रहा स्मार्ट सिटी भागलपुर?

अप्रैल 2016 में भागलपुर का चयन स्मार्ट सिटी में हुआ था, इसकी मियाद अप्रैल 2022 में पूरी होनी है, इतने साल माथापच्ची में व्यतीत, क्यों नही धरातल पर नहीं उतर पाया स्मार्ट सिटी भागलपुर? इसके प्रमुख हितधारकों सांसद, विधायक, एमएलसी, महापौर, पार्षद, अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि को जबाबदेही लेना चाहिए, आगे आकर जबाब देना चाहिए। क्या आकाश सी छाती रख,दुख नहीं होता इन्हें उपलब्धियों के नाम पर? करोड़ों रुपए गाड़ियों, साइन बोर्ड, ग्लोसाइन बोर्ड, एक चौराहे पर स्वचालित ट्रैफिक सिग्नल जैसे गैरजरूरी कामों पर खर्च हुआ.शायद आप का भी ध्यान गया होगा.शहर का ट्रैफिक सिस्टम आज भी चौपट है, वहीं जाम की समश्या से बेदम भी। समाचार पत्रों में पढ़कर लगता है स्मार्ट सिटी का काम दौड़ रहा है.पर धरातल पर घुटना टेका हुआ सा काम दिखता है। इतने दिनों के बाद भी ट्रिपल सी, स्मार्ट रोड, सैंडिस कंपाउंड का सौंदर्यीकरण जैसे काम रेंग रहे हैं.
स्मार्ट सिटी की घोषणा ने शहरवासियों को महानगरों का एहसास दिलाया था, इसके लिए भारी भरकम फंड भी मिला पर भागलपुर स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया.
इस योजना का वित्त पोषण भारत सरकार, बिहार सरकार, भागलपुर नगर निगम (BMC), गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) से होना निर्धारित था, इसे समझने का प्रयास हमको करना चाहिए, चलिए देखते है वित्त पोषण कैसे होना था।
2016-17 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 98 करोड़, बिहार सरकार से 100 करोड़, अन्य योजना मद में भारत सरकार से 15 कड़ोर 52 लाख तथा बिहार सरकार से 5 कड़ोर 73 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 9 कड़ोर 74 लाख खर्च होना था।
2017-18 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 98 करोड़, बिहार सरकार से 100 करोड़, अन्य योजना मद में भारत सरकार से 10 कड़ोर 57 लाख तथा बिहार सरकार से 10 करोड़ ,2 लाख गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) से 34 कड़ोर 31 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 9 करोड़ 74 लाख खर्च होना था।
2018-19 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 98 करोड़, बिहार सरकार से 100 करोड़, अन्य योजना मद में भारत सरकार से 10 कड़ोर 57 लाख तथा बिहार सरकार से 10 कड़ोर 20 लाख, गैर-सरकारी भागीदारी योजना से 54 कड़ोर 46 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 9 कड़ोर 74 लाख खर्च होना था।
2019-20 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 98 करोड़, बिहार सरकार से 100 करोड़, अन्य योजना मद में भारत सरकार से 28 करोड़ ,9 लाख तथा बिहार सरकार से 10 करोड़ 57 लाख, गैर-सरकारी भागीदारी योजना से 51 करोड़ 46 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 9 करोड़ 74 लाख खर्च होना था।
2020-21 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 98 करोड़, बिहार सरकार से 100 करोड़, अन्य योजना मद में भारत सरकार से 28 करोड़ 9 लाख तथा बिहार सरकार से 10 करोड़ 57 लाख ,गैर-सरकारी भागीदारी योजना से 34 करोड़ 31 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 9 करोड़ 74 लाख खर्च होना था।
2021-22 में स्मार्ट सिटी मद में भारत सरकार से 490 करोड़, बिहार सरकार से 500 करोड़,अन्य योजना मद में भारत सरकार से 118 करोड़ 83 लाख तथा बिहार सरकार से 47 करोड़ 26 लाख ,गैर-सरकारी भागीदारी योजना से 171 करोड़ 53 लाख एवं नगर निगम भागलपुर से 48 करोड़ 72 लाख खर्च होना था।
भागलपुर स्मार्ट सिटी पर कुल 1309.3 करोड़ ,क्षेत्र आधारित विकास पर रु 1106.7 करोड़ खर्च करने का प्रस्ताव है.
लेकिन केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शाम को स्मार्ट बनाने की इस महत्वाकांक्षी योजना का भागलपुर में बंटाधार हो गया है. अभी तक कितने काम हुए , कितने पैसे खर्च हुए इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए .
स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम सूचना भी उपलब्ध नहीं कराता. कार्य पर्दे में क्यों?
शहर जर्जर सड़क, भीषण जाम, बदहाल बिजली व्यवस्था, पानी संकट, लकवा ग्रस्त स्वास्थ्य व्यवस्था और जरूरी जन सुविधाओं के अभाव से त्रस्त है. स्मार्ट सिटी के नाम पर अफसरों, मेयर, डिप्टी मेयर, सांसद, विधायक और पार्षदों के आपसी खींचतान सुर्खियों में रहा है. घपले घोटाले और अनियमितता की खबरें आती रहती हैं. इन सब के लिए कौन और कितना जिम्मेदार है इन सब से हमारा लेना देना नहीं है मगर हमारी अपेक्षा है कि जो समय बीता सो बीता. अभी भी समय है सब लोग मिलजुल कर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में ईमानदारी से काम शुरू करें. नौकरशाही के लोग अपना अहंकार छोड़कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें जिसका अभी तक अभी आप हो रहा है.

हाथ मे तलवार नहीं कलम रख, सादगी से मुद्दे पर लड़ते रहे हैं, उठाते रहे, अब हमारा संवेदनशील मन शहर के मुद्दों से सीधे-सीधे बेचैन हो उठता, अब भी हमारा गुस्सा आँख ही से न टपका तो फिर वो लहू क्या? इंशाजी अब तो उठो कूच करने का वक्त आ गया…

डॉ सुरेंद्र

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