सीतामढ़ी, भारत वार्ता संवाददाता : ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ द्वारा सीतामढ़ी स्थित सर्किट हाउस में रविवार को एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई जिसमें जगतजननी भगवती सीताजी का विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया गया। काउंसिल ने इसके कार्यान्वयन हेतु एक समिति ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ का भी गठन किया है जिसकी अध्यक्षता स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू करेंगे। सांसद सुनील पिंटू ने बताया कि इसके लिए हमें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जल्द ही हम बातचीत कर स्थान को चिन्हित कर लेंगे। सांसद ने कहा कि जगतजननी मां जानकी जी से संबंधित सीतामढ़ी की धरा पर ऐसे ऐतिहासिक कार्य को लेकर वह स्वयं शुरू से चिंतनशील रहे। सांसद ने इस पुनीत कार्य के लिए रामायण रिसर्च काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज (मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित बगलामुखी माता मंदिर प्रांगण के श्रीमहंत) को भी धन्यवाद कहा। सुनील पिंटू ने बिहार में सांस्कृतिक चेतना को लगातार बढ़ावा देने के लिए मौजूदा नीतीश सरकार की प्रतिबद्धताओं और उपलब्धियों की भी सराहना की। साथ ही उन्होंने इस पुनीत कार्य में जनमानस से जुड़ने की अपील भी की।
इन विभागों से सहयोग की करेंगे अपील
सांसद सुनील पिंटू ने बताया कि इस कार्य के समन्वय और क्रियान्वयन के लिए वित्त, नगर विकास, वन, पर्यावरण, पर्यटन व संस्कृति, लोकनिर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, औद्योगिक और आवास विभाग से एक-एक नोडल अधिकारी भी नामित करने हेतु आग्रह किया जाएगा।
वेबसाइट भी लॉन्च
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सांसद सुनील पिंटू ने मां सीता डॉट कॉम वेबसाइट का भी शुभारंभ किया। सांसद ने बताया कि इस पुनीत कार्य से संबंधित हर जानकारी को समय-समय पर वेबसाइट पर अपडेट्स किया जाएगा, ताकि पूरे देश या देश के बाहर के लोग भी इस विषय से अवगत होते रहें।
वहीं प्रेस वार्ता में मौजूद रामायण रिसर्च काउंसिल के नेशनल कोऑर्डिनेटर तथा जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने कहा कि यह विशाल प्रतिमा भारत के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करेगा। उन्होंने कहा कि हम माता सीता जी पर जितना अधिक कार्य करेंगे, नारी-सशक्तीकरण को उतना अधिक बल मिलेगा, क्योंकि माता सीताजी ही हैं जो धैर्य और साहस की तब तक उदाहरण रहेंगी, जब तक यह धरती रहेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम काउंसिल के माध्यम से पूरे विश्व में माता सीताबजी के जीवन-दर्शन का प्रसार कर भारत को विश्व-गुरू बनने में बल मिलेगा। साथ ही, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त भारत को भी नया आयाम मिलेगा।
ऐसी होगी विशाल प्रतिमा
काउंसिल के संस्थापक एवं महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। प्रतिमा के चारों ओर वृताकार रूप में भगवती सीताजी की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन-दर्शन को बिना किसी शब्द के ही वर्णित कर देगा। इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिए इस स्थल को नौका-विहार तरीके से विकसित किया जाएगा। जानकारी दी गई कि भगवती सीताजी के जीवन-दर्शन पर आधारित एक डिजिटल-म्यूजियम का निर्माण, शोध संस्थान तथा अध्ययन केंद्र भी किया जाएगा। सुशांत ने बताया कि इस पवित्र परिसर में सभी देवी-देवता अपने अद्भुत रूप में स्थापित होंगे, वहीं श्रीतुलसीदास जी, श्रीवाल्मिकी जी, श्रीकेवट जी समेत रामायण के प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि कई शक्तिपूर्ण स्थानों जैसे- नलखेड़ा (मप्र) में मां बगलामुखी माताजी की ज्योत लाकर इस स्थल को एक पर्यटक एवं शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना भी उद्देश्य है।
इनपर विशेष ध्यान होगा
इंटरप्रेटेशन सेंटर
लाइब्रेरी
पार्किंग
फूड प्लाजा
लैंडस्केपिंग के साथ-साथ पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं पर चिंतन
यह होगा समिति का प्रारूप
काउंसिल के सचिव पीताम्बर मिश्रा ने बताया कि इस समिति में कुल 21 सदस्य होंगे, बाद में चलकर इसका विस्तार 108 सदस्यों तक किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि समिति में देश के हर प्रदेश से एक सदस्य को शामिल किया जाएगा तथा विश्व के ऐसे देश जहां अधिकांश सनातनी हैं, उन देशों से भी एक-एक सदस्य को नामित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य को थोड़ा गति प्रदान कर इस समिति के सदस्य सांसद जी के नेतृत्व में बिहार सरकार को और फिर केंद्र सरकार को भी अवगत कराएंगे।
प्रेस वार्ता के दौरान काउंसिल के उपाध्यक्ष रजनीश गुप्ता ने वर्तमान बिहार सरकार और केंद्र में मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि बिहार और केंद्र में बीते कुछ वर्षों में जनता के बीच जो जागृति का भाव आया है, उसी का परिणाम है कि आज हम ऐसे कार्य को मूर्त रूप देने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। रजनीश ने जनता से बढ़-चढ़कर इसमें भाग लेने की अपील भी की।
क्या है रामायण रिसर्च काउंसिल
यह काउंसिल ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जो भगवान श्रीराम के मानव कल्याण संदेशों को जन-जन तक प्रसार तथा देश के सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन का कार्य करती है। यह काउंसिल प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर पुस्तक-लेखन का कार्य भी कर रही है जो 1108 पृष्ठों की है तथा हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में भी अनुवाद हो रहा है।
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