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जानिए क्या होता है डेटा सोनिफिकेशन? पीएम मोदी की पसंद के बाद इस पर किस तरह से फिदा हैं लोग?

Tech Gadgets Article by Dr Rishikesh

@ Talk with Rishikesh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीआई से किए गए ट्रांजैक्शन्स को दर्शाने वाले ऑडियो-विजुअल रिप्रेजेंटेशन की ट्विटर पर जमकर प्रशंसा की है। दरअसल, इसे इंडिया इन पिक्सल (आईआईपी) द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया है। इंडिया इन पिक्सल ने ट्विटर पर लिखा है कि अक्टूबर 2016 से मार्च 2022 तक यूपीआई के जरिए हुए पैसे के लेन-देन की आवाज (साउंड ऑफ मनी) सुनें। इस म्यूजिक को डेटा सोनिफिकेशन प्रोसेस के जरिए डेटा से जनरेट किया गया है। इसकी खास बात यह है कि इसमें डेटा सोनिफिकेशन प्रोसेस के तहत यूपीआई के जरिए की गई लेन-देन की रकम के लिए धुन क्रिएट की गई है, जिसकी प्रशंसा पीएम नरेंद्र मोदी ने की है।

बता दें कि डेटा सोनिफिकेशन, सोनिफिकेशन का उपयोग करके डेटा को ध्वनि के रूप में प्रस्तुत करना होता है। इसे इंडिया इन पिक्सल (आईआईपी) द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया है, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने बेहद पसंद किया है। इंडिया इन पिक्सल के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है कि “मैं हमेशा यूपीआई और डिजिटल पेमेंट के बात करते रहता हूं, लेकिन आपने जिस तरह से डेटा सोनिफिकेशन के जरिए यूपीआई ट्रांजैक्शन के लिए साउंड क्रिएट किया और अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखा, ये मुझे काफी पसंद आया।” यही वजह है कि अब सबकी नजरें इस ओर इनायत हुई है और लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ी है कि डेटा सोनिफिकेशन क्या है? कैसे इसका उपयोग किया जाता है?

जानिए, क्या होता है डेटा सोनिफिकेशन?

डेटा सोनिफिकेशन, सोनिफिकेशन का उपयोग करके डेटा को ध्वनि के रूप में प्रस्तुत करना होता है। डेटा सोनिफिकेशन की एक सामान्य प्रक्रिया में किसी डेटासेट की डिजिटल मीडिया को सॉफ्टवेयर सिंथेसाइज़र और एक डिजिटल-टू- एनालॉग कन्वर्टर पर डायरेक्ट किया जाता है। ताकि ये लोगों द्वारा एक्सपीरिएंस किए जाने के लिए साउंड प्रोड्यूस करे। दूसरे शब्दों में कहें तो, डेटा सोनिफिकेशन के लिए सामान्य प्रक्रिया एक सॉफ्टवेयर सिंथेसाइज़र के माध्यम से एक डेटासेट के डिजिटल मीडिया को निर्देशित कर रही है और एक डिजिटल-से-एनालॉग कनवर्टर में मनुष्यों के अनुभव के लिए ध्वनि उत्पन्न करने के लिए है।

डेटा सोनिफिकेशन के अनुप्रयोगों में स्टार निर्माण के खगोल विज्ञान अध्ययन, क्लस्टर विश्लेषण की व्याख्या और भूविज्ञान शामिल हैं। इससे जुड़ीं विभिन्न परियोजनाएं वैज्ञानिकों और संगीतकारों के बीच सहयोग के रूप में सोनिफिकेशन के उत्पादन का वर्णन करती हैं। डेटा विज़ुअलाइज़ेशन का उपयोग करने के लिए एक लक्षित जनसांख्यिकीय डेटा विज़ुअलाइज़ेशन की दुर्गमता के कारण नेत्रहीन समुदाय है।

क्या होता है सोनिफिकेशन?

किसी इंफॉर्मेशन को रिप्रेजेंट करने के लिए नॉन-स्पीच ऑडियो का इस्तेमाल करना सोनिफिकेशन कहलाता है। उदाहरणतया, आप किसी तरह का डेटा लें और इससे साउंड क्रिएट करें, ये सोनिफिकेशन होगा। सोनिफिकेशन का उपयोग करके डेटा को ध्वनि के रूप में प्रस्तुत करना है। यह डेटा विज़ुअलाइज़ेशन के अधिक स्थापित अभ्यास के श्रवण समकक्ष है।

नासा ने भी ट्विटर पर शेयर किए थे वीडियो

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है। वीडियो में आकाशगंगा की तस्वीर पर साउंड बाएं से दाईं ओर बढ़ता है। जिससे पता चलता है कि कहां पर कितनी रोशनी है। जैसे ही यह तेज रोशनी के करीब पहुंचता है, इसके साउंड में बदलाव आता है। नासा के मुताबिक, यूजर 400 प्रकाश वर्ष दूर से दिखने वाली तस्वीर को साउंड के रूप में सुन सकता है। ये तस्वीरें चंद्रा एक्स-रे वेधशाला, हब्बल टेलिस्कोप और स्पिट्जर टेलिस्कोप से ली गई हैं। आकाशगंगा की अलग-अलग तस्वीरें अलग-अलग तरह का साउंड दे रही हैं।जानिए,

क्या है आकाशगंगा

इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि हम पृथ्वी पर रहते हैं, यह ग्रह है। ऐसे सभी ग्रह सौर मंडल का हिस्सा हैं। सौर मंडल आकाशगंगा का एक छोटा सा हिस्सा है। आकाशगंगा कई तरह की गैस, अरबों ग्रहों के सौर मंडल और धूल से मिलकर बनी है। आकाशगंगा के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा गढ्डा है ब्लैक होल कहते हैं।

आकाशगंगा की दूसरी तस्वीर का साउंड है साइंस और आर्ट का स्वर्ग में मिलन जैसा

गौरतलब है कि ट्विटर पर सोशल मीडिया यूजर्स इसे अमेजिंग टेक्नोलॉजी बता रहे हैं। एक यूजर ने दो टूक लिखा, यही कारण है कि मैं विंड चाइम्स को पसंद करता है। यह तस्वीर से एक छोटे म्यूजिक बॉक्स में तब्दील हो रहा है। वहीं, एक अन्य यूजर ने साफ साफ शब्दों में लिखा, यह साइंस और आर्ट का स्वर्ग में मिलन होने जैसा है। यही वजह है कि अब आमलोगों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है और इसके बारे में आदी से अंत तक जानने-समझने की जिज्ञासा लोगों में बढ़ी है।

यूपीआई के चलते देश में लगातार बढ़ रहा है डिजिटल लेन-देन

बता दें कि इस समय यूपीआई लेन-देन से 313 बैंक जुड़े हुए हैं। वहीं बीते एक साल में यूपीआई से लेन-देन 90 फीसदी बढ़ा है। अक्टूबर 2016 में महज 48 करोड़ रुपये से शुरू हुआ यूपीआई लेन-देन मार्च 2022 तक 9 लाख 60 हजार 581 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। आगे इसके और बढ़ने के प्रबल आसार हैं, क्योंकि यह लेन-देन को सहज और सुरक्षित बनाता है। देश में लगातार डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, जिसके पीछे यूपीआई का बड़ा योगदान है।

Dr Rishikesh

Editor - Bharat Varta (National Monthly Magazine & Web Media Network)

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