रांची : ‘भारत वार्ता’ के प्रधान संपादक डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी (Dr. Ravindra Nath Tiwari) ने झारखंड के राज्यपाल से संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की। डॉ. तिवारी ने बताया कि- रांची स्थित राजभवन में महामहिम राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार जी से मुलाकात के दौरान झारखंड की उच्च शिक्षा पर सार्थक चर्चा हुई। मैंने उन्हें अपनी किताब “संथाल हूल (30 जून 1855-56): भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम” और अपने संपादन में छपने वाली राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “भारत वार्ता” भेंट की। उन्होंने “हूल’ शब्द पर भी हमसे बात की। ‘हूल’ संथाली शब्द है जिसका मतलब होता है क्रांति अथवा विद्रोह। “संथाल हूल”की पहली प्रति देश की ‘प्रथम नागरिक’ महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को भेंट की गई थी। आजादी के अमृत काल के मौके पर मैंने यह किताब लिखी है जिसमें भारतीय आजादी की लड़ाई में झारखंड खासतौर से साहिबगंज जिले की अन्यतम भूमिका को रेखांकित किया गया है। यही नहीं इसमें यह प्रमाणित किया गया है कि 1857 का सिपाही विद्रोह नहीं बल्कि 1855 का संथाल विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। मैंने राज्यपाल को बताया कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ संथाल क्रांति हमारे गृह जिला साहिबगंज के भोगनाडीह गांव से 30 जून 1855 को शुरू हुई थी। इस विद्रोह का शंखनाद भोगनाडीह के रहने वाले सिदो-कान्हू नामक दो भाइयों ने अपने दो सहोदर भाइयों -दो बहनों और 30 हजार संथालों के साथ किया था। इस विद्रोह से निपटने के लिए बड़ी संख्या में इंग्लैंड से अंग्रेज अफसर और सैनिकों को मंगाना पड़ा था। अंग्रेज अफसरों ने लिखा कि ऐसा भयानक युद्ध उन्होंने पहले कभी नहीं देखा जैसा तीर- धनुष से लैश संथाल विद्रोहियों ने लड़ा। मेजर जार्विस ने लिखा-“पूरी लड़ाई के दौरान न कभी संथाल क्रांतिकारी न पीछे हटे और न कभी पीठ दिखाया।”
इस क्रांति की आग संथाल परगना प्रमंडल से धधककर झारखंड के बड़े हिस्से से होते बिहार में भागलपुर, मुंगेर, बाढ़ -मोकामा, पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्से में फैल गई थी। विद्रोह को दबाने के लिए इतिहास में पहली बार अंग्रेजों ने सैनिकों को ढोने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल किया था। इस विद्रोह की विस्तृत चर्चा उस समय के अंग्रेजी अखबारों, पत्रिकाओं, किताबें और रिपोर्टो में मिलती है।
महामहिम ने कहा कि पुस्तक को पढ़कर अपना विचार आपको भेजेंगे।
उत्तर प्रदेश के बरेली लोकसभा सीट से आठ बार चुनाव जीतकर अटल व नरेंद्र मोदी सरकार में कई टर्म मंत्री रहे संतोष कुमार गंगवार देश के कुछ अनुभवी, संवेदनशील, विकासवादी सोच और जनसरोकार वाले नेताओं में से हैं। वे 78 साल के हैं। फिजिक्स के छात्र रहे हैं और उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की है।
Bharat Varta Desk : बिहार के मुंगेर जिला का कल्याणपुर गांव अनोखे दुर्गा पूजा और… Read More
Bharat varta Desk बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) के लिए भाजपा ने… Read More
Bharat varta Desk लालू यादव एंड फैमिली को आईआरसीटीसी मामले में बड़ा झटका लगा है.… Read More
Bharat varta Desk रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत… Read More
Bharat varta Desk प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची… Read More
Bharat varta Desk सारंडा में वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी घोषित करने के मामले में झारखंड सरकार… Read More