Report by : Rishikesh Narayan
नई किताब की चर्चा : झारखंड के जमशेदपुर से निर्दलीय विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले और तीन मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और मधु कोड़ा को जेल की सलाखों के पीछे भिजवाने में अहम भूमिका निभाने वाले नेता का नाम सरयू राय है। भ्रष्टाचार की कलंक कथा पर खुद से कई पुस्तक लिख डालने वाले सरयू राय की तमाम पुस्तकें बाजार में आईं। लोगों ने पढ़ा लेकिन अबकी बार उनकी आत्मकथा ही आ गई है। पुस्तक का नाम है The People’s Leader, द पीपुल्स लीडर। पुस्तक का विमोचन 25 नवंबर को रांची में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया तो 30 नवंबर को दिल्ली में सुब्रमण्यम स्वामी, आरएसएस के पूर्व विचारक के.एन. गोविंदाचार्य और रामबहादुर राय ने किया। विमोचन के अवसर पर सरयू राय भी मौजूद रहे।
सरयू राय की जीवनी पर लिखी पुस्तक द पीपुल्स लीडर इन दिनों सियासत की दुनिया की चर्चित किताबों में एक है। विवेकानंद झा ने यह पुस्तक सरयू राय के जीवन पर लिखी है, जिसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। लेखक विवेकानंद झा ने इस पुस्तक में सरयू राय के जीवन के कई पहलुओं पर रौशनी डाली है। सरयू राय के बचपन से लेकर राजनीतिक जीवन तक के सफर को इस पुस्तक के जरिए दी गई जानकारी वाकई में पाठकों के लिए रोचक है। लेखक ने गहन अध्ययन, रिसर्च के बाद सरयू राय की इस जीवनी को तैयार किया है।
‘द पीपुल्स लीडर’ से सरयू राय के जीवन के कई अनछुये पहलुओं को पाठकों का जानने का अवसर प्राप्त होगा। जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता और नैतिक मूल्यों की राजनीति करने वाले सरयू राय ने अविभाजित बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया और झारखंड अलग राज्य बनने के बाद उन्होंने इसे कर्मभूमि बना लिया। बिहार में आज भी सरयू राय आर्थिक और सामाजिक विषयों के ऐसे विशेषज्ञ के रूप में सराहे और याद किए जाते हैं, जिनके कार्यों और उपलब्धियों ने वहां की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है। वे बिहार-झारखंड की राजनीति में हमेशा प्रासंगिक रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में काम किया। फिर एमएलसी, विधायक, मंत्री तक तक की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली।
पुस्तक में इस बात का खुलासा किया गया है कि राजनाथ सिंह ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को बताया था, यदि सरयू राय का टिकट कटा तो वे झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। अगर उन्हें पहले ही बता दिया जाता कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी तो वह शांत बैठ जाते। लेकिन, जब अंतिम समय में उनका टिकट काट दिया गया तो वे बागी बनकर रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर से निर्दलीय चुनाव में उतर गए। भाजपा से चूक हो गई और रघुवर दास की नैया ‘सरयू’ में डूब गई।
पुस्तक में सरयू राय का लालू प्रसाद यादव से जुड़ा एक बड़े ही रोचक प्रसंग का भी जिक्र किया गया है। भारतीय राजनीति में सबसे चर्चित घोटालों में से एक चारा घोटाला को उजागर करने में सरयू राय ने अहम भूमिका निभाया था। घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया। इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा। लेकिन, जब भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में सरयू राय को टिकट नहीं दिया, तो उनके राजनीतिक दुश्मन लालू प्रसाद मदद को आ गए। सरयू राय को लालू प्रसाद का फोन आया था, भोजपुरी में बात की, कहा- एह इलेक्शन में राउर जीतल बहुत जरूरी बा। हम रउआ साथे बानी।
सरयू राय कहते हैं कि मुझे दुख होता है जब मैं लालू जी की हालत देखता हूं, मधु कोड़ा की हालत देखता हूं। लालू जी हमारे मित्र रहे हैं। मधु कोड़ा हमारे अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि उस रास्ते पर मत चलिए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा झंडा बुलंद करने वाले सरयू राय ने ही बिहार में अलकतरा घोटाले का भंडाफोड़ किया था। झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में भी राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। रघुवर दास सरकार में मंत्री रहते हुए वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को आईना दिखाते रहते थे और कई भ्रष्टाचार का खुलासा भी किया था।
सरयू राय की जीवनी अंग्रेजी में पुस्तक लिखे जाने के कारण सर्वग्राही होना मुश्किल होगा। निसंदेह पुस्तक का हिंदी अनुवाद आने पर सर्वग्राही होगा। पुस्तक की भूमिका पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सलाहकार रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी और पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखी है।
यह पुस्तक बिहार तथा झारखंड के विषय में अभिरुचि रखनेवाले सुधी पाठकों, रचनाकारों, राजनीतिज्ञों तथा राजनीतिशास्त्र के शोधार्थियों के लिए रुचिकर, ज्ञानवर्धक एवं लाभप्रद सिद्ध होगी।
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