पॉलिटिक्स

नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार, शाहनवाज सहित भाजपा-जदयू के 17 मंत्रियों ने ली शपथ

पटना: नीतीश कुमार ने नवंबर के महीने में सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। तभी से लगातार कैबिनेट विस्तार को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। आखिरकार करीब ढाई महीने की लंबी खींचतान के बाद आखिरकार बिहार में कैबिनेट विस्तार आज हुआ। आज बिहार कैबिनेट में 17 नेताओं ने मंत्रिपद की शपथ ली। भाजपा के कोटे से 9 और जदयू के कोटे से 8 नेताओं ने शपथ ली। इसके साथ ही बिहार में मंत्रियों की संख्या अब 31 हो गई। सबसे पहले भाजपा के एमएलसी शाहनवाज हुसैन ने मंत्री पद की शपथ ली। उन्‍होंने उर्दू में शपथ ली।

भाजपा कोटे से मंत्री

सैय्यद शाहनवाज हुसैन- मूल रुप से समस्तीपुर के खानपुर प्रखंड रहने वाले हैं। पिता शिक्षक थे और सुपौल में पदस्थापति थे। इसलिए शाहनवाज हुसैन पिता के साथ सुपौल में ही पले बढ़े। 1999, 2006 और 2009 में लोकसभा पहुंचे। अटल सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री के रुप में शपथ ली थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही वह सत्ता की राजनीति से अलग-थलग थे। मुख्यधारा की राजनीति में शाहनवाज की छह साल बाद वापसी एमएलसी बनाए जाने के बाद हुई।

प्रमोद कुमार- पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री रह चुके हैं। 58 साल के प्रमोद कुमार की क्षेत्र में परड़ है। संगठन से लगातार जुड़े हैं। पांचवीं बार मोतीहारी से चुनाव जीते।

नीरज सिंह बबलू- बिहार विधानसभा में चौथी बार पहुंचे हैं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 2005 में हुई थी। 2020 में वे छातापुर विधानसभा से लड़े और जीते। नीरज सिंह दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई हैं।

सुभाष सिंह- गोपालगंज से विधायक हैं। पांच बार विधायक रह चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश के करीबी माने जाते हैं।

नारायण प्रसाद- नौतन से बीजेपी विधायक हैं। 62 साल के प्रसाद मैट्रिक पास हैं। लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। 2015 के चुनाव में भी जीत दर्ज की थी।

सम्राट चौधरी- बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। पूर्व मंत्री शकुनि चौधरी के बेटे हैं। 2017 में जदयू से भाजपा में शामिल हुए थे।

जनक चमार- भाजपा के पूर्व सांसद जनक चमार पहली बार भाजपा में वर्ष 2014 में शामिल हुए थे। वर्ष 2019 में गोपालगंज लोकसभा सीट जदयू कोटे में चली गयी तो उनका टिकट कट गया। जनक चमार ने पार्टी के खिलाफ कोई बगावत नहीं की और वो पार्टी के प्रति वफादार बने रहे। वे भाजपा में दलित प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और पार्टी के स्टार कैम्पेनर भी हैं।

नितिन नवीन- बांकीपुर से विधायक हैं। पिता दिवंगत नवीन किशोर सिन्हा भी भाजपा के कद्दावर नेता थे। नितिन अभी छत्तीसगढ़ भाजपा के सह प्रभारी हैं। इस बार उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को विधानसभा चुनाव में पराजित किया।

आलोक रंजन झा- सहरसा से विधायक हैं। इस बार बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को पराजित किया।

जदयू कोटे से मंत्री

लेसी सिंह- पिछली सरकार में समाज कल्याण मंत्री रह चुकी हैं। पूर्णिया के धमदाहा से जदयू विधायक हैं। पहली बार साल 2000 में विधायक बनीं लेसी सिंह अब तक पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं।

जमा खान- कैमूर के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र से बसपा के इकलौते विधायक मो. जामा खान ने जीत दर्ज की। मो. जमा खान कुछ दिन पहले ही जदयू में शामिल हुए।

जयंत राज- अमरपुर से विधायक हैं। मंत्रिमंडल में सबसे युवा चेहरा हैं। इनके पिता भी विधायक रह चुके हैं।

मदन सहनी- गौरागराम से विधायक हैं। नीतीश सरकार में पहले भी खाद्य आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं।

श्रवण कुमार- नालंदा से विधायक हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं।

संजय झा- बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। जदयू के रणनीतिकारों में से एक हैं। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं और पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। जदयू से पहले वे भाजपा से भी जुड़े रहे हैं।

सुनील कुमार- पुलिस अधिकारी के बाद पहली बार राजनितिक सफ़र शुरू की। सुनील कुमार रिटायर्ड आईपीएस हैं और उन्होंने डीजी से रिटायरमेंट के बाद भोरे सुरक्षित सीट से वर्ष 2020 में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

सुमित सिंह- पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं। जदयू से टिकट नहीं मिलने के बाद चकाई विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा। राजद की सावित्री देवी को 688 मतों से पराजित कर जीत हासिल की। नीतीश से मुलाकात के बाद एनडीए को अपना समर्थन दिया।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

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