मुजफ्फरपुर छठ महोत्सव : नीतू नवगीत के गायन से माहौल हुआ छठमय

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सांस्कृतिक कार्यक्रम का पूर्व मंत्री ने किया उद्घाटन

मुजफ्फरपुर: लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत द्वारा गाए गए छठ गीतों से माहौल में भक्तों का वातावरण छा गया। मौका था गिरिराज सिंह फैंस क्लब द्वारा आयोजित छठ महोत्सव का जिसका उद्घाटन बिहार सरकार के पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा और पूर्व विधायक केदार गुप्ता ने किया। उद्घाटन कार्यक्रम में रविंद्र प्रसाद, अंजू रानी, अशोक कुमार शर्मा वीरेंद्र कुमार, राजीव कुमार, सोम रंजन, अभिषेक कुमार, सत्य प्रकाश भारद्वाज, प्रकाश कुमार बबलू आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संयोजन देवांशु किशोर ने किया। लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने बिहार के पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति करते हुए माहौल को छठमय कर दिया। नीतू नवगीत ने उ जे केरवा जे फरेला घबद से ओह पर सुगा मेडराय, मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरझाए, कांचे ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, सोना सटकुनिया हे दीनानाथ हे घुमाईछा संसार , कौन खेत जनमल धान सुधान हो कौन खेत डटहर पान, केलवा के पात पर उगेलन सुरुजमल झांके झुंके हे करेलू छठ बरतिया से झांके झुंके,उगा हे सूरज देव होत भिनुसरवा अरग के रे बेरवा हो जैसे छठ गीतों की प्रस्तुति करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ धीरज कुमार पांडे नाल पर ,सुभाष प्रसाद बैंजो पर, आशीष पैड पर ,विनोद पंडित ने शानदार तरीके से हारमोनियम पर संगत किया। गीतों की प्रस्तुति के दौरान लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि छठ जीवन के उजास का पर्व है । पारंपरिक लोक गीतों की धुन पर जब पूरा समाज अपनी सांस्कृतिक विरासत को आंचल में समेटे प्रकृति के साथ आबद्ध होकर पूरी सादगी और स्वच्छता के साथ एकजुट खड़ा हो जाता है, तब छठ होता है । पूर्वांचल का यह त्यौहार अब राज्य और देश की सीमाओं को लांघते हुए विश्व के अनेक देशों में पहुंच चुका है ।
पूर्वी भारत में जितने भी लोक त्यौहार मनाया जाते हैं, सब में महिलाएं एक साथ मिलकर गीत गाती हैं । भैया दूज हो या रक्षाबंधन, कार्तिक पूर्णिमा हो या एकादशी- लोक परंपरा से जुड़े सभी त्योहारों के दौरान लोक गीत गाए जाते हैं । लेकिन छठ की बात ही कुछ और है । इसे त्यौहार की जगह महा पर्व का दर्जा दिया गया है । लोक आस्था के महापर्व के गीत पूरी तरह प्रकृति को समर्पित हैं । पारंपरिक धुनों पर सुरुज देव और छठी मैया की महिमा का बखान । साथ ही उन सभी प्राकृतिक सामग्रियों का भी बखान जिनका उपयोग छठ पर्व के दौरान किया जाता है । छठ से जुड़ी परंपराओं और छठ की पवित्रता को बरकरार रखने की कोशिशों का बखान । ये सभी छठ गीतों की कुछ खास विशेषताएँ हैं ।

जिस प्रकार आत्मा के बिना शरीर का अस्तित्व नहीं हो सकता, उसी प्रकार इस चराचर जगत की सत्ता भगवान भास्कर पर ही अवलंबित है । धरती यदि हमारी माता हैं तो सूर्य पिता हैं । दोनों के रजवीर्य से हम जीवन धारण किए हुए हैं । पृथ्वी पर जब-जब संकट के क्षण आते हैं, इसकी रक्षा के लिए सूर्य देव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय हो जाते हैं । भगवान भास्कर में असीम शक्ति है। इतनी प्रचंड शक्ति कि सारी प्रकार की व्याधियों का नाश सूर्य की किरणों से संभव है। 2020 में जब हम अटूट विश्वास के इस पर्व को मनाया हैं संभवतः सब की कामना यही है कि कोविड-19 वायरस के चलते विश्व पर मंडरा रहे खतरे और चिंताओं का नाश हो । शुद्धता, स्वच्छता और असीम श्रद्धा छठ पर्व को खास बनाते हैं । कोविड-19 से बचने के लिए भी हमें शुद्धता और स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत है । छठ के दौरान स्वच्छता का भाव व्यक्तिगत स्तर पर भी दिखता है और सार्वजनिक स्तर पर भी । छठ व्रती अपने अपने घरों की सफाई तो करते ही हैं,

वस्तुतः छठ गीतों की एक बड़ी ही समृद्ध परंपरा रही है ।विंध्यवासिनी देवी और शारदा सिन्हा ने जो छठी मैया के जो गीत गाए हैं, वह अभी लोगों की जुबान पर हैं । बिहार के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग पारंपरिक छठ गीत गाए जाते हैं । छठ पर्व के दौरान इन गीतों का बहुत महत्व होता है । लोकगीतों के बिना छठ पर्व अधूरे लगते हैं ।

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