Bharat Varta Desk: बिहार के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में सिविल डिफेंस के डीजीपी के पद पर पदस्थापित अरविंद पांडेय ने महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े एक महत्वपूर्ण तथ्य का खुलासा किया है। चर्चित आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय ने यह दावा किया है कि माउंटबेटन को गांधी की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी थी। उन्होंने गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित कपूर कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि हत्या में शामिल साजिशकर्ताओं का नाम भी उजागर होना चाहिए ताकि देश के लोगों को गांधी जी की हत्या के हर एक पहलू के बारे में पता चल सके। इसके लिए आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय ने नए आयोग से गांधी की हत्या से जुड़े सभी पहलुओं की विस्तृत जांच कराने की मांग की है। यूट्यूब, फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों पर सक्रिय रहने वाले आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय अपने प्रखर राष्ट्रवादी विचारों के लिए भी जाने जाते हैं। गांधी जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं का व्यापक अध्ययन और शोधों के बाद अरविंद पांडेय ने कई नई जानकारियों को अपने फेसबुक पेज पर साझा किया है।
प्रस्तुत है आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय का फेसबुक पोस्ट…..
गांधी जी की हत्या कपूर कमीशन की रिपोर्ट
आईपीएस अरविंद पांडे लिखते हैं कि माउंटबेटन को पता था कि गांधी जी की हत्या का षड्यंत्र रचा जा चुका है।
श्री पांडेय लिखते हैं कि माउंटबेटन को पता था कि गांधी जी की हत्या षड्यंत्र रचा जा चुका है । गांधी जी की हत्या के 17 वर्षों बाद कपूर कमीशन गठित किया गया जिसको जांच करना था कि गांधी जी की हत्या के पूर्व उन्हें पर्याप्त सुरक्षा न दिए जाने के लिए जिम्मेदार कौन था तथा इस हत्या का षड्यंत्र कैसे किया गया।
कपूर कमीशन की रिपोर्ट पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई । यह भी एक आश्चर्य क्या विषय है..
30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या हुई.. उसके बाद उसका पुलिस-अनुसंधान कराया गया जिसमें नाथूराम गोडसे सहित छह लोगों को हत्या और षड्यंत्र का आरोपी मानते हुए दो लोगों को मृत्युदंड दिया गया और 4 को आजीवन कारावास।
सूचना के बाद भी नहीं बढ़ाई गई सुरक्षा, ना हुई गिरफ्तारी
इस हत्या के प्रकरण में यह महत्वपूर्ण है 30 जनवरी 1948 को हत्या किए जाने के 10 दिन पूर्व अर्थात 20 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या का प्रयास मदनलाल पाहवा और 2 अन्य लोगों ने किया था ने और पहवा की गिरफ्तारी भी 20 जनवरी को ही हो गई थी …
पुलिस को उसने गांधी जी की हत्या के षड्यंत्र में सम्मिलित अनेक व्यक्तियों का नाम बताया था … किंतु 20 जनवरी से 30 जनवरी के अंतराल में न तो गांधीजी की सुरक्षा मजबूत की गई और न ही उन सभी व्यक्तियों को गिरफ्तार करके गांधीजी की हत्या के षड्यंत्र करने वालों को सामने लाया गया जिनका नाम मदनलाल पहवा ने हत्या के पहले ही पुलिस को बता दिया था…
अस्पताल पहुंचाने में हुई देरी
सामान्य रूप से जब प्रशासनिक और अपराध संबंधी मामले को राजनीतिक मामला बनाकर सोचा जाने लगता है और जनता के सामने लाया जाता है तब अपराध के वास्तविक तथ्य छुप जाते हैं...
आश्चर्य का विषय है कि जब नाथूराम की गोली से घायल होकर गांधी जी गिर गए तब उन्हें तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचाया गया बल्कि काफी देर तक बिरला हाउस में ही रखा गया...
कपूर कमीशन की रिपोर्ट पर वास्तविक कार्रवाई नहीं
कपूर कमीशन की रिपोर्ट पर आजतक वास्तविक कार्रवाई नहीं हो पाई- यह भी आश्चर्य का विषय है ...
कपूर कमीशन के सामने जयप्रकाश नारायण जैसे धुरंधर व्यक्तियों ने भी अपना बयान दर्ज कराया था और कमीशन के सामने अनेक ऐसे तथ्य थे जिससे यह साबित होता था कि गांधीजी की पर्याप्त सुरक्षा नहीं की गई थी और इसी कारण उनकी सरलता पूर्वक हत्या कर दी गई।
सावरकर को हत्या से जोड़ने का विकृत प्रयास
वीर सावरकर और कुछ सामाजिक संगठनों को गांधी जी की हत्या से आज तक जोड़ने का साक्ष्य-विहीन विकृत प्रयास किया जाता है वह इसीलिए क्योंकि कपूर कमीशन की रिपोर्ट आजतक आम लोगों के सामने नहीं आ पाई है …
यह रिपोर्ट सामने आते ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि गांधीजी की हत्या करने वालों को आसानी इसीलिए हुई क्योंकि उस समय की महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार को सूचना मिलने के बावजूद न तो षड्यंत्रकारियों को समय पर गिरफ्तार किया गया न ही गांधी जी की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की गई जबकि हत्या के षड्यंत्र का पता उस समय के सारे महत्वपूर्ण लोगों को और पुलिस को हत्या के कुछ दिन पूर्व ही चल चुका था ….
हत्या के समय गवर्नर जनरल माउंटबेटन
यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि गांधी जी की हत्या के समय भारत के गवर्नर जेनरल माउंट बेटन ही थे और पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिलाने के सवाल पर श्री नेहरू और श्री पटेल से गांधी जी के मतभेद सार्वजनिक हो चुके थे...
नए आयोग से हो जांच
महत्वपूर्ण व्यक्तियों की हत्या के प्रयास या उनकी हत्या किए जाने के बाद सभी पक्षों पर जांच अवश्य की जानी चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाएं घटित ना हो – इसका भी उपाय किया जाना चाहिए …
यह विश्वास किया जा सकता है कि आने वाले कुछ समय में गांधी जी की हत्या आसान बनाने वालों को और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा न देने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान किसी नए आयोग द्वारा की जाएगी और इतिहास में फैलाए जा रहे गांधी जी की हत्या से संबंधित मिथ्या प्रवाद को समाप्त किया जा सकेगा….
जिन लोगों ने गांधी जी की हत्या की थी उन्हें न्यायालय द्वारा दंडित किया जा चुका है किंतु जिन लोगों ने षड्यंत्र का पता रहते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं की उनके नाम तक का पता आज की पीढ़ी को नहीं है जब कि गांधी जी की हत्या के सभी तथ्यों को जानना प्रत्येक भारतीय का अधिकार है।
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