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‘वैक्सीन वाले चचा’ को मिली जमानत, 12 डोज वैक्सीन लेने का आरोप

मधेपुरा : मधेपुरा में कोरोना वैक्सीन की 12 डोज लेने वाले रिटायर्ड पोस्टमास्टर ब्रह्मदेव मंडल को जमानत मिल गई है। उन्हें सीआरपीसी की धारा-41 का लाभ देते हुए जमानत दे दिया गया। मधेपुरा के पुरैनी थाना अध्यक्ष दीपक चंद्र दास ने इस बात की जानकारी दी।
बता दें कि ब्रह्मदेव मंडल पर नाम और पहचान पत्र बदल-बदल कर 12 बार वैक्सीन लेने का आरोप है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने उनके खिलाफ धारा 419/420 और 188 के तहत यह मामला दर्ज कराया है। ब्राम्हदेव मंडल ने आत्महत्या करने की धमकी देते हुए कहा था कि अगर सरकार उन पर मुकदमा चलाती है तो वो अपनी जान दे देंगे। वे अब ‘वैक्सीन वाले चचा’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं।

ब्राम्हदेव मंडल को जब कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लेने से जोड़ों के दर्द से राहत मिली तो उन्होंने लगातार 11 डोज ले लिए। 12वें डोज में उनकी चालाकी पकड़ में आ गई। उन्होंने बताया कि ‘हमको कोरोना के सुई नहीं मिलता था त दरद बढ़ जाता था।’

राजद विधायक ने उठाये सवाल

राजद विधायक प्रो. चंद्रशेखर ने भी एसपी को पत्र लिख कर ब्रह्मदेव मंडल की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने अपने पत्र में कई सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि 12 वैक्सीन लेने के बाद भी एक 84 वर्षीय व्यक्ति कैसे सुरक्षित है? जब वैक्सीन के दो डोज के बीच का अंतर सरकार ने 84 दिन निर्धारित किया फिर भी 48 घंटे के भीतर दो बार वैक्सीन लेने वाले 84 वर्षीय व्यक्ति पर वैक्सीन का कोई प्रतिकूल प्रभाव क्यों नहीं पड़ा? ब्रह्मदेव मंडल ने जो वैक्सीन लेने से अपने स्वास्थ्य में सुधार की बात कही है, उसके दावे में कितनी सच्चाई है? क्या वैक्सीन सच में दर्द निवारक का काम करती है? एक व्यक्ति का 12 बार कोरोना वैक्सीन लेना सिर्फ उस व्यक्ति के ऊपर नहीं बल्कि कोरोना वेक्सिनेशन को लेकर बनायी गयी व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़ा करता है। जब सरकार ने वैक्सीनेशन प्रक्रिया को आधार कार्ड से जोड़ा तो फिर उसके बार-बार वेक्सीन लेने की बात से स्वास्थ्य महकमा कैसे अनभिज्ञ रहा? उन्होंने पूछा क्या इसके लिए सिर्फ लेने वाला ही दोषी है? ऐसे ही कई सवाल हैं जिसका जवाब पुलिस और कोरोना पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों को भी देना चाहिए।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

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