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डॉ सीपी ठाकुर ने कहा – प्रधानमंत्री जी पर जातीय जनगणना के लिए दबाब बनाना उचित नहीं

पटना, भारत वार्ता संवाददाता : जातीय जनगणना को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है। जातीय जनगणना का मुद्दा बिहार की सियासत के दो धुर-विरोधियों नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को एक साथ ले आया है। जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 अगस्त को राजद नेता तेजस्वी यादव सहित बिहार के 10 दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर मंत्री जनक राम भी शामिल थे। वहीं, भाजपा के अंदर अब जातीय जनगणना के विरोध में अब धीरे-धीरे विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। पहले बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने अखबारों में छपे आलेख के माध्यम से जातीय जनगणना की मांग को तर्कसंगत नहीं बताया। राजेंद्र गुप्ता के आलेख को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थन किया है। अब बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर ने जातीय जनगणना की मांग के विरोध में बयान जारी किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर ने कहा है कि जनगणना का आधार जाति नहीं बल्कि आर्थिक आधार होना चाहिए। प्रधानमंत्री जी पर जातीय जनगणना के लिए दबाब बनाना उचित नहीं है। हमारी स्पष्ट समझ है कि जनगणना अगर हो तो अमीरी और गरीबी के आधार पर हो। जातीय जनगणना समाज को बांटने की साज़िश है। उन्होंने कहा है कि हमारा संदेश पूरे विश्व के लिए वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देता है। जाति में समाज को बांटने का क्या मतलब है? समाज में इससे और भेदभाव बढ़ेगा। सभी भारत माता के संतान हैं। हमारे पार्टी का स्टैंड है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।

डॉ सीपी ठाकुर ने कहा कि गरीब और अमीर हर जाति में होते हैं। गरीबी की कोई जाति नहीं होती, गरीब ‘गरीब’ होता है। आवश्यकता है कि देश में जाति नहीं बल्कि गरीबी के आधार पर जनगणना हो। बिहार में अभी बहुत काम करना बाकी है। जरूरत है बिहार में उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सेवाओं को सुदृढ़ करने का। इसलिए जनगणना के बजाय इन चीजों पर फोकस करने की जरूरत है। दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है, और हम अभी भी जात-पात पर ही अटके हैं। जाति आधारित जनगणना से देश को कोई फायदा नहीं होगा। जनगणना समाज हित के लिए हो, राजनीतिक हित के लिए नहीं।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

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